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.. विषय १० अन्तःपुरिका-आदि स्त्रियों के विषय में गौतम और भगवान का प्रश्नोत्तर। ....
.... ५२४-५२८ ११ दकद्वितीय आदि मनुष्यों के उपपात के विपय में गौतम और
भगवान का प्रश्नोत्तर। .... ... ... .... ५२८-५३१ १२ वानप्रस्थ-आदि तापसों के विषय में गौतम स्वामी और भग
वान का प्रश्नोत्तर । .... ... .... ....५३२-५३६ १३ प्रवजित श्रमण के उपपात के विपय में गौतम स्वामी और
भगवान का प्रश्नोत्तर। .... .... .... .... ५३६-५३८ १४ सांख्य-आदि परिव्राजको का और उनके भेद कर्ण-आदि ब्राह्मण
परिवाज कों का और शीलधी-आदि क्षत्रिय परिव्राजकों का वर्णन । ५३९-५४१ १५ कर्ण-आदि और शीलधी-आदि का सकल-वेदादि-शास्त्र
भिज्ञता का वर्णन। .... .. .... .... ५४१-५४३ १६ कर्ण-आदि और शीलधी-आदि परिवासकों के आचार का वर्णन । ५४३-५५६ १७ कर्ण-आदि और शीलधी-आदि परिव्राजकों की देवलोकस्थिति का वर्णन । ...
... ... ... .. ५५७-५५८ १८ अम्बड परिव्राजक के शिष्यों का विहार । .... .... ५५८-५६३ १९ अम्बड परिव्राज के शिष्यों का संस्तारक-ग्रहण । .... ५६३-५७३ २० अम्बड परिव्राजक के शिष्यों की देवलोकस्थिति का वर्णन!.... ५७३-५७४ २१ अम्बड परिव्राजक के विपय में भगवान और गौतम का संवाद। ६७४-६२५ २२ आचार्य, कुल और गण-आदि-विरोधी प्रवजित श्रमणों के
विषय मे भगवान का कथन । .... ... ... ६२५-६२८ २३ जलचर आदि संज्ञि-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-पर्याप्तक के विषय - में भगवान का कथन । ... .... ... ६२८-६३१ २४ द्विगृहान्तरिक-त्रिगृहान्तरिक-आदि आजीवक के विषय मे भगवान का कथन ।
.... .... ६३१-६३३ २५ आत्मोत्कर्पिक-परपरिवादिक आदि प्रव्रजित श्रमणों के विषय मे भगवान का कथन ।
... ६३४-६३५ २६ बहुरत-आदि निहनवों के विषय में भगवान का कथन। .... ६३६-६४० २७ अल्पारम्भ-आदि मनुष्यों के विपय में भगवान का कथन । ... ६४०-६५४ २८ अनारम्भ-आदि मनुष्यों के विषय मे भगवान का कथन । .... ६५५-६५८ २९ ईर्यासमिति-आदि-युक्त साधुओं के विपम में भगवान का कथन । ६५८-६६३