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औषपातिक परिग्गहे, ६ अस्थि कोहे. ७ माणे. ८ माया, ९ लोभे, अस्थि सर्वतो भावेन गृह्यते जन्म गरामरगादिदुरीष्टयते आमा अननेनि, यद्वा परिगृपते-सम् छ स्वीक्रियत इति । 'अस्थि कोहे माणे माया लोमे अस्ति क्रोध , अस्ति मान , अस्ति माया, अस्ति लोभ । मोर कोधमोहनीय युदयेन वपरनित्तप्रचलनम्पविकृतिजनक आमन परिणामपिशेप 1 मान =स्वापेक्षयाऽन्यहीन मन्यते जनो येन म , मानमोहनी योदयसमुथोऽन्यहीनतामननलमग आमन परिगामविशेष । माया-मायामोहनीयोदयसमुथा जीवस्य पञ्चनपरिणतिविशेष -स्वपख्यामोहोपादकमाचरणमिति यावत् । लोभा-गेमप्रकृत्युदयवशात् द्रव्यायमिलापलक्षगो जीवस्य परिगतिविशेष । 'अस्थि जाब मिच्छादसजन्म, जरा एव मरगादि दु सौ से जिसके द्वाग आमा येष्टित होता है उसका नाम परिग्रह है। (ममेदं ) भाव का नाम मूछा है । ('अत्थि कोहे माणे माया लोभे) ये चार कपाय हैं-क्रोध, मान, माया और लोभ । कोपमोहनीय प्रकृति के उदय से स्व और पर की चित्तवृत्ति में प्रज्वलन रूप निकारजनक जो आमा का परिणामविशेष होता है, उसका नाम क्रोध है। मानमोहनीय के उदय से अन्य को हीन समझने का जो आत्मा का परिणामविशेष होता है वह मान है । इसके सद्भाव मे जीव अपनी अपेक्षा अप जन को हीन समझता है । मायामोहनीय के उदय से पर को वचित करने का जो आत्मा का परिणामविशेप होता है वह माया है। इसके वश में रहा हुआ जीव स्व और पर का व्यामोहक आचरण किया करता है। लोभप्रकृति के उदय के वश से द्रव्यादिक को चाहने की जो आत्मा की परिगतिविशेप है उसका नाम लोभ है। (अस्थि मेहुणे) मैथुन पा५ छे (अत्थि परिग्गहे) परियड पर पा५ छ, रे મૂછ પૂર્વક પ્રહણ કરાય તેનું નામ પરિગ્રહ છે, અર્થાત જન્મ જરા તેમજ મરણ આદિ દુ ખેથી માત્મા જેના દ્વારા વેષ્ટિત થઈ (વી ટળાઈ) જાય છે तेनु नाम परियड छे भू मापनु नाम पशु परियड (ममेद) लावन नाम भूछी छे (अत्थि कोहे माणे माया लोभे) मा यार ४पाय छे-ध, भान, માયા અને લોભ કોમેહનીય પ્રકૃતિના ઉદયથી સ્વ અને પરની ચિત્તવૃત્તિમાં પ્રજવલનરૂપ વિકારજનક જે આત્માનું પરિણામ-વિશેષ હોય છે તેનું નામ ક્રોધ છે માન-મોહનીયના ઉદયથી એક બીજાને હીન સમજવાનું જે આત્માનું પરિણામવિશેષ થાય છે તે ભાન છે આના સભાવમાં જીવ પિતાના કરતા બીજા માણસને હીન સમજે છે માયામહનીયના ઉદયથી બીજાની વચના કરવાનું જે આત્માનું પરિણામવિશેષ થાય છે તે માયા છે, તેને વશ થયેલ છવ વ તથા પરનું વ્યાહક આચરણ કર્યા કરે છે