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तेलमा एहिं पीणणिजेहिं दप्पणिजेहिं मयणिजेहिं विहणिजे हिं सर्विवदियगायपल्हाय णिज्जेहि अभिगेहि अभिगिए
,
,
= काम,
परिश्रान्त-अत्यापेक्षया, 'सयपाग-सररसपागेहिं तपाकसहस्रपार्क, शत पाको येषु ते पाका, सम्यकौषधिमिश्रशेन वा पाय कापणमूल्यकद्रव्यमिश्रणेन वा पाको येषु ते शतपाकास्तैलविशेषा, ए सहस्रपाका अपि ततस्तयो द्वेन्द्र, तैस्तैलविशेष, सुर्गाधितेलात 'पीणणिजेहिं ' प्रीणनीयैरधिविधातु, 'दप्पणिज्जेहि' दर्पणीयै के ' मयणिजेहिं ' 'हिणिजेहिं णीये - मासोपचयकारिभि, 'सव्विदिय-गाय-पल्हायणिनेहिं ' सर्वेन्द्रिय--गान प्रह्लादनीयै, सर्वेपाम् इन्द्रियाणाम्, गात्राणा ग्रहादनीये महादजनके, किया । मल्लों के साथ कुस्ती लडी । वहा पर रखे हुए मुद्गरा को भी फिगया। इन क्रियाओ से यह पहिले साधारण श्रान्त हुए एव बाद में अधिक परिश्रान्त हुए । इस तरह जन अच्छा रीति से वे खूब व्यायाम कर चुके तर (सयपागसहस्सयागेहिं) उन्होंने शत पाकवाले एव सहस्रपाकवाले तैला से ( पीणणिज्नेहिं दप्पणिज्जेर्हि) जो तेल प्रीणनीय-रस-सीर आदिवर्धक एव दर्पणीय-बलवर्द्धक होते है, ( मयणिनेहि ) कामवर्द्धक होते है, (हिपिज्जेहिं ) बृहणीय - मासनानेचाल होते हैं, (सम्बिदिय - गाय - पल्हायणिज्जेर्हि) समस्त इन्द्रिय एवं समस्त शरीर को आनन्द देनेवाले होते है ऐसे तेलों से तथा (अभिगेहिं )
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* सौ वार पकाये गये, अथवा सौ प्रकार का औषधियों को मिश्रित कर पकाये गये, अथवा सौ रुपये मूल्यवाला औपधिया को गलाकर पकाये गये ऐसे तैला से। इसी प्रकार सहसपाक मे भी समझना चाहिये ।
સાધારણ થાક્યા, તેમજ ત્યાર પછી વધારે થાક લાગ્યા આવી રીતે જ્યારે બહુ કસરત अभी सीधी त्यारे (मयपागसहरसपागेहिं) तेभो शतया वाका तेभन सहखपाठवाला तेोथी नेते (पीगणिउजेहि दप्पणिज्जेर्हि) श्रीशुनीय रस ३धिर याहि वर्ष तेभर हर्यीय-तवर्ष होय छे, (मयणिज्जेहिं) अभवर्ष होय छे, (विहणिज्जेहि) मृडशीय - भागवर्ध: होय थे, (सव्वि दिय-गाय पहायणि जेहिं) समस्त धद्रियो तेसल समस्त शरीरने नह
[૧] મેાવાર પકાવેલુ અથવા બે પ્રકારની ઓષધીઓથી મિશ્રિત કરી માવેલુ અથવા મે રૂપિયાની કે મનની આષધોને ગાળીને પકાવેલ એવા તલેઆજ રીતે મહાકમાં પણ સમજવુ જોઇએ