________________
-
___ पीयूषयपिणी-टीका स ४७ बलव्यापृतस्य कृणिक प्रतिनिवेदनम् ३८७
करयल जाव एवं वयासी-कप्पिए णं देवाणुप्पियाणं आभिसेके हत्थिरयणे, हयगय-जाव-पवर-जोह-करिया य चाउरंगिणी सेणा सण्णाहिया, सुभदापमुहाण य देवीणं वाहिरियाए उवहाणसालाए पाडियकपाडियकाई जत्ताभिमुहाड जुत्ताई जाणाई उवट्टावियाडं, करतल यावदेवम् अवादीत-कप्पिए णं देवाणुप्पियाण आभिसेक्के हत्थिरयणे' कल्पित खलु देवानुप्रियाणामाभिपेक्य हस्तिरत्नम् 'हयगयरहपवरजोहकलिया य' हयगजरथप्रपरयोधकलिता च ' चाउरगिणी सेणा सण्णाहिया' चतुरङ्गिणी सेना सन्नाहिता, 'सुभद्दापमुहाण य देवीणं ' सुभद्राप्रमुखाना च देवीना 'वाहिरियाए उवट्ठाणसालाए' नाह्यायामुपस्थानशालाया 'पाडियकपाडियकाइ' प्रत्येक प्रत्येक 'जत्ताभिमुहाइ जुत्ताइ जाणाइ उवट्ठावियाइ' यानाभिमुसानि युक्तानि यानानि उपस्थापितानि, फिर इस प्रकार कहने लगा कि (कप्पिए ण देवाणुप्पियाणं आभिसेक हत्यिरयणे) है देवानुप्रिय ! आपका आभिपेक्य हस्तिरत्न शृगारित हो चुका है। (हय-गय-रहपवरजोह-कलिया य चाउरंगिणी सेणा सण्णाहिया) घोटे, हाथी, रय एव सुभटो से युक्त चतुरगिणी सेना भी सजा-बजाकर तैयार की जा चुकी है। (सुभद्दापमुहाण य देवीण वाहिरियाए उवट्ठाणसालाए पाडियकपाडियकार जत्ताभिमुहाइ जुत्ताई जाणाद उवट्ठावियाई सुभद्राप्रमुस देविया के भी बाहिर का उपस्थानशाला मे अलग २ बैठने के लिये, यात्रा के योग्य एव अच्छे २ बैलां से युक्त ऐसे ग्य लाकर उपस्थित कर दिये एवं वयासी) पहायाने तणे सपथी पडेसा शनने मन्ने हाय प्रणाम इयो भने पछी त मा घडारे का साये (कप्पिए ण देवाणुप्पियाण आभिसेक्के हत्थिरयणे) हे हेपानुप्रिया मापनी मालिऽय साथीरल शारा गये। (हय-गय-रह-पवरजोह-कलिया य चाउरगिणी सेणा सण्णा हिया) घोस, हाथी, २५ तेभर सुखटाथी युद्धत यतु२ गिणी सेना पर Arror थई ४ छ (सुभद्दापमुहाण य देवीण बाहिरियाए उवट्ठाणसालाए पाडियक्कपाडियस्काइ जत्ताभिमुहाइ जुत्ताइ जाणाइ उपहावियाइ) सुखद्राप्रभुम દેવીઓને માટે પણ બહારની ઉપસ્થાનથાલામા અલગ અલગ બેસવાને સારૂ, યાત્રાને ગ્ય તેમજ સારા સારા બળદથી યુક્ત એવા રથ લઈ આવી
२ रामेसा छ (चपा णयरी सन्भितरयाहिरिया आसित्त-जाव गधवट्टिभूया कया)