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औपपातिकतने समं आडहइ, आडहिता वहमगंगाहेड, गाहिता जेणेववलवाउए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता बलवाउयस्स एयमाणत्तियं पञ्चपिणइ ॥ सू०४४॥
मूलम्-तए णं से वलवाउए जयरगुत्तियं आमंतेइ, हनयानानि तेषु प्रतोदयष्टी प्रतोदधरान् शकटयाहकाश्च स्थापयति । 'आडहित्ता' आहृदय, 'वट्टमग्ग' वर्तमार्गम्=गकटादिगम्यमार्ग-राजमार्ग 'गाहेड' ग्राहयति, ग्राहयिवा यौव बलल्यापृतस्तरेयोपागच्छति, उपाग य 'पलाउयस्स एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणइ' वलन्यापृताय एतामाजप्तिका प्रत्यर्पयति--आजा सम्पाद्य पश्चानिवेदयती यर्थ ॥ सू०४४ ॥
टीका-'तए ण' 'यादि । 'तए ण से बलवाउए' तत मलु स बलल्यापतो उन यानों मे हाफने का चाबुको एव हारने वालों को एक ही साथ स्थापित कर दिया, (आडहित्ता) चायुक लेकर हाफने वाले जन अच्छी तरह उन यानों पर जमकर बैठ चुके तब (वट्टमग्गं गाहेइ) उसने उन यानों को राजमार्ग पर उपस्थित किये । (गाहित्ता जेणेव वलवाउए तेणेव बागच्छइ) उन्हें राजमार्ग पर उपस्थित कर फिर वह यान शालाधिकारी जहा सेनापति थे वहा पहुचा । (उवागच्छित्ता वलबाउयस्स एयमाणत्तिय पञ्चप्पिगद) पहुँचकर उसने कहा कि हे स्वामिन् । आपके आज्ञानुसार सभा यान तैयार है ॥ सू० ४४ ॥
'तए ण से बलपाउर' दयादि।
(तए ण) इसके बात (से बल पाउर) उम सेनापतिने (गयागुत्तिय) नगर की रक्षा पओयधरण य सम आडहइ) तेणे ते यानामा जापानी यामुळे तेभर 8sपापाजाने ४ ४ साथे स्थापित सीधा (आडहित्ता) रामु बन
पापा न्यारे मारी गत ते यानी उप२ मेमी युध्या त्यारे (घट्टमग्ग गाहेइ) तणे ते यानाने मार्ग ५२ ४२ ४ा, (गाहित्ता जेणेव बनाउए तेणेन आ T૬) તેમને રાજમાર્ગ પર હાજર કરીને પછી તે યાનશાળાધિકારી સેના पतिनी पाने पम्य (पागन्त्तिा बलपाउयस्स एयमाणत्तिय पञ्चप्पिणड) પહોચીને તેણે કહ્યું કે હે સ્વામિન ' આપની આજ્ઞા પ્રમાણે બધા યાન તૈયાર छ (सू० ४४)
"तए ण से बलगाउए" त्यादि (तए ण) त्या२ ५४ी (मे बल्याउग) ते मेनापति थे (णयरगुत्तिय) २२