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पोयूपरपिणो-टोमा म ३९ कृणित प्रवृत्तिव्यापृतमत्कार ३६५ व्वया जाव णिसीयड, णिसीडत्ता तस्स पवित्तिवाउयस्स अद्धतेरस-सयसहस्साई पीडदाणं दलयड, दलइत्ता सकारेड सम्माणेड सकारिता सम्माणित्ता पडिविसजेड ॥ सू०३९ ॥ तत्रोपविश्य यापन 'नमोऽत्युणं पटति 'जाव' यावत मिहामने 'णिसीयः' निपीढति-उपपिअति, 'णिसीदत्ता' निपद्य-उपविश्य, तस्स पवित्तिवाउयस्स नद्धत्तेरससयसहस्साद पीटदाण दलयड' तस्मै प्रवृत्तिन्यापृताय अत्रयोदशशतसहस्रागि प्रतिठान ददाति-सार्द्धद्वान्गगतमहवागि गजतमुद्रा प्रीतिदान-पारितोषिक समर्पयति । 'श्रमणो भगवान महाचीरस्वामी चम्पानगया उपनगरग्राममुपागत चम्पानगर्ग पूर्णभद्रचैय समवमर्तुकाम' उनि निवेदित प्रगृत्तिव्यामृतेन, अतस्तदाऽष्टोत्तरेकल क्षग्यक गजतमुद्रारूप प्रातिदान प्रदत्तम् । अत्र तु अन्यामेव चम्पानगयाम् अतिमनिकृप्टे स्थाने पूर्णभद्रचैये समवसृत-इति वार्ता निवेदिता, अतो हपातिगयादेतहाििनवेदने सार्धद्वादशलक्षराजतमुद्रारूप प्रीतिनान प्रवृत्तिन्यापृताय दत्तम्-इनि भाव । 'ढलइत्ता सकारेट सम्माणे' दत्वा मकारयति-पत्रादिनान, सम्मानयति-प्रियवचनेन, 'सकारिता सम्माणित्ता पडिविसने' सकृय सम्मान्य प्रतिरिमर्जयति ॥ सू०३९ ॥
वे एकदम मिहामन से उठ के खडे हुए और नीचे उतरकर जिस दिया में भगवान गिराज___ मान थे, उस दिशा की ओर, सात आठ पग जाकर और बैठकर पिपिपूर्वक "नमोत्यण" लिये। बाद सिंहासन पर बैठे, (णिसीदत्ता तरस पवित्तिवाउयस्स अद्धत्तेरस-सयसहस्साह पीटढाण दलयद) वैठ कर उन्होंने उस मदेशनाहक क लिये माढे बारह लाग्य चादा का मुद्राओं का प्रीतिदान-पारितोषिक प्रदान किया, (दलदत्ता) प्रातिदान देकर उन्हाने (सकारेद) उसका सकार किया (सम्माणेट) मधुर वचना से सन्मान किया । टस प्रकार (सकारिता समाणित्ता) मकार एव सन्मान करके उन्हाँ न उसे (पडिपिसज्नेह) જઈ તેઓ એકદમ સિંહાસનેથી ઉઠીને ઉભા થયા તથા નીચે ઉતરીને જે દિશામાં ભગવાન વિરાજમાન હતા તે દિશાની તરફ સાત આઠ પગલા જઈને
मेसीने विधिपूर्व " नमोत्यु ण" हीधु माह मिडासन५२ २४१, (णिसीडत्ता तस्स पवित्तिवाउयस्स अद्वरत्तेससयसहस्साइ पीइदाण दलयइ) अमीन તેઓએ તે આ દેશવાહકને માટે સાડાબાર લાખ ચાદીના સિકકાઓનું પ્રીતિहान-पारितोषिक महान ज्यु (दलइत्ता) प्रीतिहान मापाने तयारी (सरकारेइ) तेने मा२ ठयो, (सम्माणेइ) मधु२ क्यनाथी सन्मान ४यु मा प्रा