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पीयूपयषिणो-टीका र ३६ ज्योति पदेयवर्णनम्
३४१ पंचवण्णाओ ताराओ ठियलेसा चारिणो य अविस्साममंडलगई पत्तेयं णामंकपागडियचिंधमउडा महिड्ढिया जाव पज्जुवासंति ॥सू०३६॥ तारनायका एव । नसामान्या उक्ता एर। अराधीनिर्महा । एकन्य खल चन्द्रममस्तारा कोटाना कोट्य एतारो भान्ति-पट्पटिमहत्राणि नव च शतानि पञ्चमहायरिकानि 'णाणा-सठाण-सठियानो'नाना-स्थान-लस्थिता. 'पचवणाओ' पचन , 'तारानो' तारा , 'ठियलेसा' स्थितलेल्या निचलप्रकाया । 'चारिणो य' चारिण्यश्चमञ्चग्णगोला, 'भत्रिम्साम-मटल-गई। अविश्राम-मण्डलगतय -निरन्तर-चरणशीला, 'पत्तेय' प्रयेकम् गृथक पृथक 'णामा-पागडिय-चिंध-मउडा' नामाऽप-प्रकटित चिह्नमुकुया -नामाहानि नामातिानि-नामाभयुक्तानि प्रकटितचिहनानि-स्पष्टचियुक्तानि मुकुटानि येपा ते तथा, 'महिढ़िया' महर्डिका -मर्दियुक्ता मन्ता योनिष्का देना 'जाव पज्जुवासति' यावत् पूर्ववप्रलिगवन्दनादिमि पर्युपामते ॥ मू० ३६॥ मी टमी प्रकार ममझनी चाहिये । ग्रह अट्टामी है । नमन को माया ऊपर कही गयी है। प्रकीर्णतारकाओं में केवल चन्द्रमा के ही परिवार के तारे ६६९७५ (छियामठ हजार नौ मो पचहत्तर) कोटाकोटी ह । टमी तरह और के मी तार्ग के परिवार शास्त्रान्तर से ममझना। न (णाणा-सठाण-सठियाओ) टन तागओं का आकार एकमा निक्षित नहीं है, इनका आकार अनेक प्रकार का है। (पचवण्णाओ) ये पाँच वर्णवाले है। (ठियटेसा) उनकी लेण्या स्थिर है-टनकी लेय्या में कोर्ट परिवर्तन नहीं होता है। (चारिणो य) ये चरग-गीर है । अत (पविम्याम-मडल-गई) निरन्तर गमन અર્થની સખા બત્રીસ છે ચદ્રમાની સંખ્યા પણ એટલી જ સમજી લેવી જોઈએ ગ્રહ ૮૮ છે નક્ષત્રની સંખ્યા ઉપર કહી છે પ્રકીર્ણતાગમાં કેવળ ચક્રમાના પરિવારના તાગ દ૯૭૫ (છાસઠ હજાર નવો પીચોતેર ) કડાડી છે એવી જ રીતે બીજ ચદ્રમાના પણ તાર–પગ્વિાર શાસ્ત્રાન્તથ્વી સમજી લેવા
(णाणा सठाण मठियाओ) मा तागयाना माता से वो निश्चित नथी. तभना मा भने प्रहारना छ (पचवण्णाओ) तसा पाय व वाणा छ (ठियलेमा) तमनी बेश्या स्थिर छ, तभनी ल्याभ 5 ३२५२ थो नयी (चारिणो यो तेया अयशी (अविस्माम-मंटल गई) माम नि..