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विषय
२१ भगवान के शिष्यों का वायाभ्यन्तर नप-उपधान का वर्णन ।... २२ भगवान महावीर स्वामी के अनेकविध शिष्यों का वर्णन | २३ असुरकुमार देवो का भगवान के समीप आगमन, और उनका वर्णन २४ नागकुमारादि भवनवासी देवों का भगवान के समीप आगमन, और उनका वर्णन |
१५ व्यन्तर देवों का भगवान के समीप आगमन, और saet
वर्णन |
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WORK
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२६ ज्योतिष्क देवों का भगवान के समीप आगमन, और उनका
वर्णन |
३३५-३४१
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२७ भगवान के समीप वैमानिक देवों का आगमन, और उनका वर्णन ... ३४०-३४६ २८ चम्पा नगरी के वासी लोगो का भगवान के दर्शन की उत्सुकता, और उनका भगवान के समीप जाना |
7225
पृष्ट
२८३-३०६
३०६-३२१
३६३-३६५
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२९ प्रवृत्तिव्यात द्वारा कृणिक का भगवान के आगमन का परिज्ञान, और राजा कृणिक द्वारा प्रवृत्ति व्याटत. का सत्कार | ..... ३० राजा कूणिक - द्वारा बलव्यात ( सेनापति) का आह्वान, और उसे हाथी, घोटा, रथ आदि तथा नगर के सजवाने का आदेश | ३६६-३६९ ३१ चलत्र्यात - द्वारा हस्तिव्यात को हाथी सजाने का आदेश और हस्तिव्यात - द्वारा हाथियों का सजाना । ३२ बलव्यापृत-द्वारा यानशालिक को यान - सजाने का आदेश, और यानशालिक - द्वारा यानो को सजाना । ३३ बलव्यापृत-द्वारा नगरगुप्तिक को नगर सजाने का आदेश, और नगरगुप्तिक- द्वारा नगर को सजाना । ३४ आभिषेक्य हस्तिरत्न - आदि का निरीक्षण कर के बलव्यात का कूणिक राजा के पास जा कर उन्हें भगवान के दर्शन के लिये जाने की प्रार्थना करना ।
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३२२-२३०
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करना, दण्डनायक होना, और सभी
दर्शन के लिये
३३०-३३३
३५ कूणिक राजा का व्यायामादि करके स्नान आदि से परिवेष्टित हो गजराज पर आरुढ प्रकार के ठाट-चाट के साथ भगवान के प्रस्थान करना, उचित प्रतिपत्ति के साथ भगवान के समीप पहुँचना, और पर्युपासना करना । -
३३८-३३८
३२-३६३
३७८-३७७
• ३८५-- ३८८
३७७-३८२
३८३-३८५
,३८८-४३५