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________________ पीयूपयपिणी-टोका सू १२ धारिणीवर्णनम रीरा लक्खण-बंजण-गुणोववेया माणु-म्माण--प्पमाण-पडिपुषणसुजाय-सव्वंग-सुंदरंगी समि-सोमाकार-कंत-पिय-दंसणा सुरुवा नातिपीनानि नातिकृशानि पञ्च इन्द्रियागि यत्र तदहीनपरिपूर्णपनेटिय, तादृश शरीर यस्या सा अहीनपरिपूर्णपञ्चेन्द्रियगरीरा-न्यूनाधिकवैफल्यादिदोपरहितलक्षणसहितपञ्चेन्द्रियपूर्णसुन्दरशरीग इति यावत् । 'लवण-वजण-गुणोवरेया' लक्षण-ज्यन्ननगुगोपपेता. तत्र-लक्षणानि-चिहानि हस्तरेग्वादिरूपाणि स्वस्तिकादीनि, व्यसनानिम्मातिलादीनि, तान्येव गुणा -प्रारतरूपा तैरुपपेता-मुमम्पन्ना । 'माणु म्माण-प्पमाणपडिपुण्ण सुजाय सम्बंग-मुदरगी' मानो मान-प्रमाण-प्रतिपूर्ण-मुजात-सात-मुन्दराम, मान जलादिपरिपूर्णकुण्टादिप्रपिट पुरपादौ यदा द्रोणपरिमित जल्गटि निस्सरनि तदा स पुरपादिर्मानवानुच्यते, तस्य गरीगवगाहनाविशेषो मानमन गृह्यते । उन्मानमःऊर्वमान यत् तुलायामारोप्य तोलनेऽर्धभागप्रमाण भवति तत् । प्रमाण-निजामुलीमिरटोतरशताङ्गुलिपरिमितीच्याय , मान च उन्मान च प्रमाण चेनि मानोन्मानप्रमाणानि, तै प्रतिपूर्णानिम्मपन्नानि, अत एव मुजातानि यथोचितावयवमनिवेगयुक्तानि, सर्वाणि= सर गनि, अगानि-मस्तकादारभ्य चरणान्तानि यस्मिन्तत् तादृशम्-अत एव मुन्दरदीर्ध और पाचौ इन्द्रियों से परिपूर्ण था। (लखण-चजण-गुणोपरया) लक्षणहस्तरेखादिकरूप एव व्यजन-मसतिल आदिप चिही से यह मुम्पन थी । (माणुम्माण-प्पमाण-पडिपुण्ण-भुजाय-सन्यग-मुदरगी) मान, उन्मान एव प्रमाण से परिपूर्ण होने के कारण यथोचित अवयवों की रचना से इसके मस्तक से लेकर चरणतक के समस्त अग एव उपाग बडे ही मुहावने थे, अत इसका शरीर सागसुन्दर था। (ससि-सोमाकार-कत-पियदसणा) चद्रमा के तुल्य इसका स्वरूप सामु न मने पायेय धन्द्रियोथी परिपूर्वा तु (लक्सणचजण-गुणोववेया) क्षा-स्त ३६४३५ तेम ४ व्यान-मसा त माहि ३५ यिनीया सुमपन्नती (माणु-म्माण-प्पमाण पढिपुण्ण-सुजाय सव्वगसुदरगी) भान, उन्मान ते प्रमाणुथी परिपूर्ण पान ४२0 क्यो ચિત અવયવોની રચનાથી તેના માથાથી લઈને પગ સુધીના સમસ્ત અગ તેમ જ ઉપાગે ઘણું જ સુંદર હતાતેથી તેનું શરીર સમસુદર હતુ (मसि-सोमाकार-कत पियदसणा) यद्रमा समान तेनु स्व३५ पाथी ते
SR No.009334
Book TitleAuppatiksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages868
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size26 MB
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