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औपपातिकखत्रे'
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खंधसमल्लीणे एत्थ णं महं एक्के पुढविसिलापट्टए पंण्णत्ते विक्खंभायामउस्सेहसुप्पमाणे किण्हे अंजण- घण - किवाण- कुवलय-हलहर-कोसेजा-गास-केस - कजलंगी खंजण-सिंगभेद - रिट्टय-जंबूफलवृक्षस्य अध प्रदेश, आसीदिति शेष ' एत्थ ण मह एके पुढ विसिलापट्टए पण्णत्ते ' अत्र - अस्मिन् - अध प्रदेशे 6 मह ' महान्, एक्के' एक ' पुढविसिलापट्टए ' पृथ्वी गिलापक --- पृथ्वी गिलापीड इत्यर्थ । ' पण्णत्ते ' प्रज्ञप्त कथित । स पृथ्वीगिलापीठ कीदृश' इत्याह--'विक्खभा-याम - उस्सेह - सुप्पमाणे ' विष्कम्भाss-यामोत्सेध- सुप्रमाण, विष्कम्भ – पृथुत्व-परितो विशालवम् । 'आयामो' दीर्घ'वम् । 'उत्सेध ' -उच्च वम् । एतैर्विष्कम्भाssयामोत्सेधै सु-सुष्टुप्रमाण यस्य स निष्कम्भाssयामोसेधमुप्रमाण, 'कस्यापि ' प्रमेयस्य त्रिधा परिमाण भवति, तेषु विष्कम्भ पृथुत्व - स्थूलव, आयामो दैर्घ्यम्, उत्सेध उच्चैस्त्वम्, एतैखिभि प्रमाणै मुटु युक्त नातिन्यूननात्यधिकप्रमाणयुक्त इति भाव । तथा - 'किण्हे' कृष्ण – कृष्णवर्ण नील इति यावत् । कीदृश कृष्ण 2 अत्राह - ' अजणघण- किवाण - कुवलय- हलहरकोसेज्जा - गास केस - कज्जलंगी खजण - सिंगभेदरिद्र्य - जंबूफल-असणग- सगवधण - पीलुप्पलपत्तनिकर-अय सिकुसुम - पगासे ' अञ्जन-घन-कृपाण – कुवलय - हलधर कौणा - काग - केश - कजलागी खञ्जन, शृङ्गमेद - रिप्टक --जम्बूफला–सनक—गणनन्धन-नीलोपलपत्रनिकराऽ-तसी - कुसुम - प्रकाशः,
तत्र -अञ्जन:
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प्रदेश मे (मह) विशाल ( एक्के पुढ विसिलापट्टए पण्णत्ते ) एक पृथिवीशिलापट्ट था । (विवखभा-याम - उस्सेह - मुप्पमाणे ) यह लम्बाई, चौडाई, एव ऊचाई में बराबर प्रमाणवाला था, हीनाधिक-प्रमाणवाला नहीं था । (किण्हे) वर्ण इसका कृष्ण - श्याम था । (अजण- घण- किवाण- कुवलय हलहरकोमेज्जा - गास केस - कज्जलगी खजण सिंगभेदरिट्ठय-जबूफल - असणग- सणवधण - गीलुप्पलपत्तनिकर- अय सिकुसुम-प्पंगासे ) अत इसका प्रकाश अजनवृक्ष, धन- नीलमेघ, कृपाण - तलवार, कुवलय-नीलकमल, हलधरकौशेय
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पृथिवीशिया
भागमा (महं ) विशास ( एक्के पुढनिसिलापट्टए पण्णत्ते ) मे यह तो ( विक्सभा याम उस्सेह सुप्पमाणे ) मे समाई होनांध तेभन उया भा सरमा भायवाणी हुतो सोछा पधारे भायनो नहोतो (किन्छे) वालु तेन दृष्ण-श्याम ( अणो ) इतो ( अजण घण किवाण कुवलय हलहरकोसेज्जा गास केस कज्जलगी सजण सि गभेद रिट्ठय- जवूफल-असणग-सणबधण नीलुप्पल पतनिकर अयसिकुसुम पगासे) आभ तेनो अाश साल् नेवो, नीसभेध,