SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सावद्यपूजानिषेधवर्णनम् हिंसाकरणेन दुर्गतिर्भवतीति सावधसपर्या सर्वथा प्रतिषिद्धा भगवता, एवंच भगवन्चरणानुरागिणः शुभगत्यभिलाषिणः सुरनिकाया वीतरागस्य भगवतः समवसरणे सचित्तजलपुष्पादिवृष्टिसमारम्भं कुर्वन्तीति वार्ता न कथमपि युक्तिपथमारोहति । अत्रेदमनुमानवाक्यम् - आभियोग्या देवाः समवसरणे सचित्तपरिहारिणः, भगवन्मतानुयायित्वात् तुङ्गकानगरी श्रावकवत् । उक्तंच अचित्तजलपुफाणं, बुद्धि विक्कुच्चए सुरा । समोसरणमज्झे उ, सचित्तं जिणवारियं ॥१॥ पांच कारणोसे जीव दुर्गति में जाते हैं, जैसे कि जीव हिंसा से, झुटसे, चोरीसे, मैथुनसे, तथा परिग्रहसे " । हिंसा करने से दुर्गति होती है, अतः सावद्य पूजा सर्वधा निषिद्ध है । इस प्रकार भगवान् के चरणों में सदैव प्रेम रखनेवाले तथा शुभगति के इच्छुक देवता वीतराग भगवान् के समवसरण में सचित्त जल-पुष्प आदिकी वर्षा करते हैं, यह बात किसी भी युक्तिसे सिद्ध नहीं हो सकती है । अनुमान - प्रमाणसे भी यही बात सिद्ध होती है । जैसे तुंगिका नगरी के श्रावक, भगवान् के समवसरण में पांच प्रकार के अभिगमपूर्वक अर्थात् सचित्त का परिहार करके जाते थे, उसी प्रकार भगवान् के अनुयायी आभियोगिक देवता भी समवसरण में सचित्त जल पुष्प आदि की वृष्टि नहीं करते हैं, यह तीर्थकरों की मर्यादा है। कहा भी है: હિંસા કરવાથી દુર્ગંતિ થાય છે, માટે સાવદ્ય-પુજા સ^થા નિષિદ્ધ છે. એ રીતે ભગવાનના ચરણામા સદા પ્રેમ રાખવાવાળા તથા શુભગતિના ઇચ્છુક દેવતા વીતરાગ ભગવાનના સમવસરણમાં સચેત પાણી પુષ્પ આદિની વર્ષા કરે છે, આ વાત કોઇ પણ યુકિતથી સિદ્ધ થઈ શકતી નથી અનુમાનપ્રમાણથી પણ આ વાત સિદ્ધ થાય છે કે- જેમ તુ ંગિકા નગરીના શ્રાવક, ભગવાનના સમવસરણમાં પાંચ પ્રકારના અભિગમ પૂર્વક અર્થાત્ સચેત દ્રવ્યે (વસ્તુએ) ને ત્યાગ કરીને જતા હતા, તેજ રીતે ભગવાનના અનુયાયી આભિચૈગિક દેવતા પણુ સમવસરણમા સચેત પાણી પુષ્પ સ્માદિની વૃષ્ટિ કરતા નથી, આ तीर्थनी मर्यादा छे. पलु है:
SR No.009333
Book TitleAnuttaropapatik Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages228
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuttaropapatikdasha
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy