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॥ अन्तकृतदशाङ्गसूत्र की विषयानुक्रमणिका ॥ अनुक्रमाङ्क विषय -
पृष्ठसंख्या कृष्ण को वरप्राप्ति और कृष्ण का देवकी देवी के समीप वरमाप्ति का सन्देश कहना ।
७८-८० गजसुकुमाल का जन्मादिवर्णन ।
८१-८२ सोमिलबाह्मण पुत्री सोमा का वर्णन ।
८३ अरिष्टनेमि के दर्शन के लिये कृष्ण का जाना । ८४-८५ अरिष्टनेमि के दर्शन के लिये जाते हुए कृष्ण का मार्ग में सोमिल--ब्राह्मण-पुत्री सोमाको देखना, और गजसुकुमाल की पत्नी-रूपसे सोमाका वरण करना। ८६-८८ गजसुकुमाल का दीक्षाग्रहण करने का विचार। ८८-९१ गजसुकुमाल का राज्याभिषेक और दीक्षा ग्रहण करना। ९१-९४ गजसुकुमाल की श्मशानमें ऐकरात्रिकी महाप्रतिमा। ९४-९६ सोमिलब्राह्मण का दुर्विचार। ..
९७-९९ सोमिलब्राह्मण का गजसुकुमाल के मस्तक उपर : अङ्गार रखना।
९९-१०१ गजसुकुमाल की सिद्धिपद की प्राप्ति । १०१-१०४ कृष्णका अर्हत् अरिष्टनेमि के पास वन्दना करने के
१०४-१०७ कृष्णद्वारा की गई वृद्ध पुरुप की सहायता । १०७-१०९ गजसुकुमाल के विषय में कृष्ण और अरिष्टनेमि का संवाद ।
१०९-११५ कृष्ण का द्वारका में प्रवेश और सोमिल का उनके .. समीप आना।
११५-११७ सोमिल का मरण ।
११७-११९ सुमुख कुमार का वर्णन। . . १२०-१२२ दुर्मुखादि कुमारोंका वर्णन।' . . . . .
१२३-१२४ पद्मावती का वर्णन। .. .. १२५-१२७
लिये जाना।
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