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उट्ठाणसाला तेथेन उपागच्छ उबागरित्ता चाउघट आसरहं ठोइ ठविता रहाओ पच्चीरुहरु पत्रोरहित्ता नम्वगुपरिक्खिते पायविहारचारणं जेणन कण्हे वासुदेव तेणेव उवागच्छइ उवागन्छित्ता कण्हे वासुदेवे समुदनिजयपामुक्खे य दस दसारे जाव चलवगसाहसीओ कग्यल त चेव जान समोसरह । तएण से कण्हे वासुदेने तस्स दूयस्त अतिए एयमह सोचा निसम्म हट जान हियएत दूय सको इ सम्माणेइ सम्माणित्ता पडिविसज्जेड || सू० १७ ॥
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टीका तए से ' इत्यादि । ततस्तदनन्तर से पदो राजा दूत शब्द यति, शब्दयित्वा मराठी रानुमिय | द्वारपती द्वारका नगरीम्, तत्र सलु व कृष्ण वासुदेव, समुद्रविजयममुखान् दश दशार्शन, वलदेव प्रमुखान् पञ्च महावीरान् उग्रसेनममुग्वान् पोढश राजसहखाणि मनुन्नममुखाः अर्ध चतुर्थी. कुमार कोटी :=प्रद्युन्नममुखान् सार्वत्रिकोटिराजकुमारान, साम्बप्रमुखाः पष्टिदुर्दान्तमादस्री. = साम्यप्रमुखान् पन्टिसहस्रदुर्दानवान्, वीरसेनममुग्लान् एक विंशतिवीरपुरुषमाहत्री = वीरसेनममुम्वान एकविंशतिसहस्रवीरपुरुषान, महासेन
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तएण से दु' इत्यादि ॥
टीकार्थ- (तएण से दुबए राया दूय सहावेह, सद्दावित्ता एव वयासी गच्छण तुम देवाणुपिया ! नारवइ नयरिं-तत्वण तुम कण्ह वासुदेव समु दविजय पामोक्खे दसद सारे बलदेव पामोक्खे पत्र महावीरे उग्गसेन पामो क्खे सोलसरायसरस्से पज्जुण्णपामो+खाओ अराओ कुमारकोडीओ सपामोक्खाओ सहिदुद्दत सारस्सीओ वीरसेन पामोक्खाओ इक्कीस
' तएण से दुवर ' इत्यादि --
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अर्थ - (तएण से दुवए राया हूय सहावेइ, सहाबित्ता एव क्यासी - गच्छ तुम देवाणुपिया 1 वारइ नयरिं-तत्यण तुम कण्ह वासुदेवसमुद्द विजयपाभोक्खे दसदसारे बदेवपाभोक्खे पच महावीरे उगासेनपामोक्खे सोलसरायमहस्से पज्जुण्ण पामुक्खाओ अधुट्ठाओ कुमारकोडी जो सनपामोक्साओ सट्ठि दुद्दत साहस्सीओ वीर सेन पामोक्खाओ इकत्रीस वीरपुरिससाहसीओ महसेनपामोक्खाओ छप्पन बलव
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