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प्रमैयचन्द्रिका टीका श०३० उ. १ सू०१ जीवानां कर्मबन्धकारणनिरूपणम्
क्रियावादकारणीभूत यथावस्थितद्रव्यपर्यायात्मकार्थपरिच्छेदयुक्तत्वात् । अत्र खल यानि सम्यग्दृष्टियोग्यस्थानानि अलेश्पत्वसम्यग्दर्शनज्ञानिनो असंज्ञोपयुक्तवावेदकत्वादीनि तानि सर्वाण्यपि क्रिशवादे एव निक्षिप्यन्ते । यानि खलु मिथ्यादृष्टि स्थानानि मिथ्यात्वाज्ञानादीनि तानि शेष समवसरणत्रये निक्षिपते 'नो अकिरियादाई' अश्या जीवा अक्रियावादिनो नो भवन्ति द्रव्यपर्यायात्मक वस्तु परिच्छेयुक्तत्वादिति । 'नो अन्नाणियवाई 'नो न वा अज्ञानिकवादिनः पूर्वोतयुक्तेरेव | 'नो वेणइयवाई' नो न वा चैनयिकवादिनो भवन्ति अश्या जीवा इति ! 'कण्डपक्याणं भंते । जीवा किं किरियात्राई पुच्छा' कृष्णपाक्षिकाः खलु होते हैं । अयोगी और सिद्धू ये अलेश्य जीव हैं। ये क्रियावादी ही होते हैं। क्यों की इन में कियाबाद के कारणीभूत यथावस्थित द्रव्य पर्यायात्मक पदार्थ के परिच्छेद से युक्तता है। यहां सम्यग्दृष्टि के योग्य अश्यत्व, सम्यग्दर्शन, ज्ञानी, नो संज्ञोपयुक्त और अवेदकत्व आदि स्थान हैं- सो इन सबका क्रियावाद में ही समावेश हुआ है तथा जो मिथ्यादृष्टि के योग्य मिथ्यात्व, अज्ञान आदि स्थान हैं सो इनका शेष समवसरण त्रय में समावेश हुआ है । 'नो अकिरियाबाई' अलेश्य जीव अक्रियाबादी नहीं होते हैं। क्योंकि ये द्रव्य पर्यायात्मक वस्तु के ज्ञान से युक्त होते हैं । 'जो अन्नाणियवाई' इसी प्रकार वे अज्ञानिक वादी भी नहीं होते हैं । 'णो देणहवाई' वैनयिकबादी भी नहीं होते हैं। क्यों की ये द्रव्यपर्यायात्मक वस्तुके ज्ञानवाले होते हैं । 'कण्ड्प क्खियाणं भंते! जीवा किरियाबाई पुच्छा' हे भदन्त ! जो कृष्णपाक्षिक વિનાના જીવે। ક્રિયાવાદી હૈાય છે. અચેાગી અને સિદ્ધ એ અલેશ્ય જીવ છે. એ ક્રિયાવાદી જ હાય છે કેમ કે તેએ ક્રિયાવાદના કારણભૂત યથા વસ્થિતદ્રવ્ય પર્યાયાર્થિ ક પદાથના પરિચ્છેથી યુક્ત હેાય છે અહિયાં સમ્યગ્ દૃષ્ટિને ચેન્ગ્યુ અલૈશ્યપણામાં, સમ્યકશનજ્ઞાની નેાસોપ્યુક્ત અને અવેઇક પણ વિગેરે સ્થાના છે તે સઘળાના ક્રિયાવાદમા જ સમાવેશ થાય છે. તથા જે મિથ્યાર્દષ્ટિને ચાગ્ય મિથ્યાત્વ, અજ્ઞાન. વિગેરે સ્થાના છે, તે સમાવેશ સમવરણુત્રયમાં થયેલ છે
પણ
'नो अकिरियाबाई' बेश्याविनाना कवा अडियावाही होता नथी. भ } तेथेो द्रव्य पर्यायात्म वस्तुना ज्ञानधी युक्त होय छे 'णों अन्नाणियवाई' भेर प्रमाणे अज्ञानवाही पर होता नथी. 'णो वेणइयवाइ' वैनयिवाही એ પ્રમાણેના હાતા નથી. કેમ કે તેઓ દ્રવ્ય પર્યાયાત્મક વસ્તુમાં જ્ઞાનવાળા હાય છે 'कहपक्खिया ण भते । जीवा किं किरियावाई पुच्छा' हे भगवन् ने કૃષ્ણપાક્ષિક જીવે છે, તેઓ શું કિયાવાદી હોય છે ? અક્રિયાવાદી હાય છે ?