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४१
४३
-
४४
४५
"सामान्य से अधःक्षेत्र उर्ध्वक्षेत्र का आश्रय
करके एकेन्द्रिय जीवों के उपपात का कथन४६ अपर्याप्तक सूक्ष्मपृथ्विकाय आदि के अधोलोक में ग्रहगति से उत्पात आदिका कथन
४९.
४७- लोक के पोरस्त्यादि चरमान्स विषय
v
५०
५१
CP
५२
विग्रहगति से जीवों के उत्पात का निरूपण रत्नप्रमापृथिव्याश्रिव पृथिव्याद्ये केन्द्रिय
जीवों का निरूपण
शर्करामभा पृथिव्याशित एकेन्द्रिय जीवों के
५३
५४ C
उपपात आदि का कथन ३५८-३६८
CI
३३३-३५६
३५७
अपर्याप्तक सूक्ष्मपृथ्वीकाय के उत्पत्ति आदि का कथन ३९४-४१४ अपर्याप्त सूक्ष्मपृथ्वीकायिक जीव का लोक के
दक्षिण चरमान्त में उत्पत्ति आदि का कथन बादर पृथ्वीकाय आदि के स्थान आदि का निरूपण दूसरा उद्देशक
अनन्तरोपपन्नक एकेन्द्रियों के भेद आदि का निरूपण ४४५-४६४
तीसरा उद्देशक
अनन्तरावगाढ से अचरम पर्यन्त के जीवों के
भेदों का कथन
दूसरा एकेन्द्रिय शतक कृष्णलेश्यायुक्त एकेन्द्रियों के भेदों का निरूपण तीसरा चौथा और पांचवां शतक
नील- कापोत एवं शुक्ललेश्यावाले एकेन्द्रिय जीवों के ग्यारह उद्देशात्मक शतकों द्वारा कथन
३६९-३७४ Bes
- -३७५-३९४
परम्परोपपन्नक एकेन्द्रिय जीव के भेदों का निरूपण ४६५-४५० चौथे उद्देशक से ११ वें पर्यन्त के उद्देशक का कथन
४१४-४२४
४२४-४४४
४७१-४७२
४७३-४७८
४७९-४८१