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trafer टीका ०३४ अ. श०२ कृष्णलेश्यैकेन्द्रियनिरूपणम् चत्वारो भेदा भवन्तीति । 'कण्हलेस्स अपज्जत हुमपुढवीकएणं भंते ।" कृष्णलेश्याऽपर्याप्तसूक्ष्मपृथिवीकायिकः खल्ल भदन्त ! 'इमी से रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले० ' एतस्या रत्नप्रभायाः पृथिव्याः पौरस्त्ये० ' एवं एएवं अभिलावेण हेच ओहिउदेसओ जाव लोगचरिमंतेत्ति' एवमेतेनाभिलापेन यथैव औधिकोदेशको यावल्लोकचरमान्त इति, 'सव्वत्थ कण्डलेस्से सु चेव उववाएयन्त्रो' सर्वत्र कृष्णलेश्येष्वेव उपपातयितव्यः । यथैवधिक उद्देशकः अत्रैव चतुस्त्रिंशत्तमशतकगते प्रथमे एकेन्द्रियशतके सामान्येन - अपर्याप्त सूक्ष्मपृथिवीकायिकप्रकरणोक्तं सर्वं प्रकरणं वाच्यम्, विशेष एतावानेव यत्
चार भेद जैसे कहे गये हैं वैसे ही वे यहां पर भी जानना चाहिये । 'कण्हलेस अपज्जत सुमपुढची काहयाणं भंते! हे भदन्त ! वह कृष्णलेइयावाले अपर्याप्त सूक्ष्म पृथिवीकायिक जीव कि जिसने 'इमी से रणभाए पुढवी पुरथिमिल्ले' इस रत्नप्रभापृथिवी के पूर्व चरमान्त में मारणान्तिक समुद्घात किया है और पश्चिम चरमान्त में उत्पन्न होने के योग्य हुआ है तो हे भदन्त ! ऐसा वह जीव वहां कितने समयवाले विग्रह से उत्पन्न होता है ? इत्यादि पाठ द्वारा जैसा औधिक उद्देशक में कहा गया है वैसा ही लोक के चरमान्तसंबंधी प्रकरण तक समझना चाहिये | 'सम्वत्थ कण्हलेस्सेसु चेव उववायव्वो' और इन सबका सर्वत्र कृष्णलेल्यावालों में ही उपपात कहना चाहिये । तात्पर्य कहने का यही है कि जिस प्रकार से ३४ वें शतक गत प्रथम एकेन्द्रिय शतक में सामान्य से अपर्याप्त सूक्ष्म पृथिवीकायिक के प्रकरण में कहा
'कण्हलेस अपज्जत सुहुमपुढवीकाइयाण' भंते ! हे लगवन्ते पृष्ट् द्वेश्यावाजा गयर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीायि छ ? 'इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले' या रत्नभला पृथ्वीना पूर्व थरमान्तमां भारशान्तिः સમુદ્ઘાત કરીને પશ્ચિમ ચરમાન્તમાં ઉત્પન્ન થવાને ચાગ્ય હોય તે હુ ભગવન્ એવા તે જીવ ત્યાં કેટલા સમયવાળી વિગ્રહગતિથી ઉત્પન્ન થાય છે? ઇત્યાદિ પાઠદ્વારા ઔધિક ઉદ્દેશામાં જે પ્રમાણે કહેવામાં આવેલ છે એજ अभाषे सोङना थरभान्त सुधी समभवु' लेखे, 'सव्वत्थ कण्हलेस्से चेव उबवायव्त्रो' भने मा अधाना उपयात मधे ठेले द्रुष्यसेश्यावाणाभां डेव જોઈએ. કહેવાનું તાત્પ એ છે કે-જે પ્રમાણે ચેાત્રીસમાં શતકના પહેલા એકેન્દ્રિય શતકમાં સામાન્ય પણાથી અપર્યાપ્તક સૂક્ષ્મ પૃથ્વીકાયિકના પ્રકરણમાં કહેવામાં આવેલ છે. એજ પ્રમાણેનુ' સઘળું પ્રકરણુ અહિયાં પણ કહેવુ જોઈએ.