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________________ त्यन ११८ ११९ १३० १२१ ५७ से ८४ पर्यन्त के उद्देशकों का कथन अभवसिद्धिक राशियुग्म कृत्युग्म निरशिकों के ७५०-७५२ कृष्णलेश्यावाले अमनसिद्धिक राशियुग्म कृतयुग्म नैरयिकों के उत्पत्ति का कथन ७५३नीललेश्यावाले आदि लेश्यायुक्त आश्वसिद्धिक राशियुग्म कृतयुग्म नैरयिकों के उत्पत्ति का कथन ७५४-७५७ ८५ से ११२ पर्यन्त के उद्देशकों का कथन सम्यग्दृष्टि आदि राशियुग्म कृतयुग्न नैरयिकों के उत्पत्ति का निरूपण ७५७-७५९ कृष्णादि लेश्यायुक्त राशियुग्ध कृतयुग्म नैरयिकों के उत्पत्ति का निरूपण ७५९-७६१ ११३ ३ से १४० पर्यन्तके उद्देशक का कथन मिथ्यादृष्टि राशियुग्म कृतयुग्म नैरयिकों के उत्पत्ति का कथन ७६२-७६३ १४१ से १६८ पर्यन्त के उद्देशक का कथन कृष्णपाक्षिक राशियुग्म कृतयुग्म नैरयिकों के उत्पत्ति का कथन ७६४-७६५ १६९ से १९६ पर्यन्त के उद्देशकों का कथन शुक्लपाक्षिक यावत् शुक्लपाक्षिक शुक्ललेश्थ राशियुग्म नैरपिकों के उत्पत्ति का कथन ७६६-७७२ भगवतीसूत्र के शतक एवं उद्देशकों का कथन ७७३-७७४ भगवतीसूत्र के उपदेश के प्रकार का कथन ७७५-७८० १२२ १२३ १२४ १२५ १२६ ॥ समाप्त ॥
SR No.009327
Book TitleBhagwati Sutra Part 17
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages812
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size54 MB
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