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प्रमेयवद्रिका टीका श०३० उ.१ १०३ २० आयुष्ककर्मबन्धनिरूपणम् १०५ . अक्रियावादिनः खलु भदन्त ! पृथिवीकायिका जीवा कि नरयिकायुष्क" प्रकु . वन्ति तिर्यग्योनिकायुष्क प्रकुर्वन्ति मनुष्यायुष्क वा प्रकुर्वन्ति देवायुष्क वा . अकुर्वन्तीति प्रश्नः पृच्छया संगृह्यते । भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा . हे गौतम ! 'नो नेरइयाउयं पकरेंति' नो नैरयिकायुक भकुर्वन्ति अक्रियावादिनः पृथिवीकायिकाः किन्तु 'तिरिक्खजोणियाउयं० मणुस्साउयं पकरेंवि तिर्यग्योनि कायुष्क प्रकुर्वन्ति तथा मनुष्यायुष्क च भकुर्वन्ति 'नो देवाउयं पहरेंति' नों देवायुष्क प्रकुर्वन्ति, अक्रियावादिनां पृथिवीकायिकजीवानां द्वे एव तिर्यग्मनुप्यायुषी भवतो न तु नारकवायुष्कौ भवत इति । एवं अन्नाणियवाई वि' एवं. मक्रियावादिनः पृथिवीकाथिकवदेव अज्ञानिकवादि पृथिवीकायिका अपि नो 'अकिरियावाई णं भंते ! पुढबीज्ञाझ्या पुच्छा' हे भदन्त ! अक्रियावादी पृथिवीकायिक जीव क्या नैरयिक आयु का बन्ध करते हैं ? या तिर्यगायु का बन्ध करते हैं ? या मनुष्यायुका पन्ध कारते हैं ? या देवायुका बन्ध करते हैं ? उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-'गोयमा ! नो नेरच्याउयं पकरेंति' हे गौतम ! अक्रियावादी पृथिवीकायिक जीव नैरथिक आयुको पन्ध नहीं करते हैं किन्तु-तिर्यगायु का बन्ध करते हैं, मनुष्यायु का बन्ध करते हैं, 'नो देवाउपकरेंति पर देवायुका भी वे पन्ध नहीं करते हैं। इस प्रकार अक्रियावादी पृथिवीकायिक जीवों के तिर्यगायु और मनुष्यायु इन दो आयुओं का ही घन्ध होता है नैरयिक और देवायुका बन्ध नहीं होता है। 'एवं अन्नाणियवाई वि' अज्ञानिकवादी पृथिवीकायिक जीव अक्रियावादी पृथिवीकायिक जीव के जैसे ही
'अकिरियावाई ण भंते ! पुढवीकाइया पुच्छा' नावन् मसिवायाsi. પૃથ્વીકાયિક જીવ શું નૈરયિક આયુષ્યને બંધ કરે છે અથવા તિર્યંચ આયુને બંધ કરે છે? અથવા મનુષ્ય આયુને બંધ કરે છે અથવા દેવ मायुनी मध ४२ छ ? माप्रश्न उत्तरमा प्रभुश्री डे छ ?-'गोयमा ! नो. नेरइयाउय पकरेंति' गौतम ! गठियावाही पृथ्वी यि थिई मायनी બંધ કરતા નથી. પરંતુ તિર્યંચ આયુષ્યને બંધ કરે છે, અને મનુષ્ય मायुने। मध ४२ छे. 'नो देवाउय पकरे ति' ५२ तु तसा माध्यतामा બંધ કરતા નથી. આ રીતે અકિયાવાદી પૃથ્વીકાયિક જીવને તિર્ય આયુ અને મનુષ્ય આયુ આ બે આયુને જ બંધ હોય છે તેઓને नैरपि मन हे मायुनी मधात नथी. 'एव' अन्नाणियवाइ वि' मज्ञान' વાદી પૃથ્વીકાયિક જીવ, અક્રિયાવાદી પૃથ્વીકાયિક જીવના કથન પ્રમાણે જ નારક આયુ અને દેવ આયુને બંધ કરતા નથી. પરંતુ તિર્યંચ આયુ અને
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