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प्रमेन्द्रका टीका श०३० उ. १ सू०१ जीवानां कर्मबन्धकारणनिरूपणम्
' एवं ' जाव काउलेस्सा' एवं सलेश्यनारकवदेव यावत्पदेन कृष्णनीलकापोतश्यावन्तः कृष्णलेश्यादिका नारकाः क्रियावादिनो यावद्वैनयिकवादिनो भवन्ति । 'eneraया किरिया विवज्जिया' कृष्णपाक्षिका नारकाः क्रियाविवर्जिताः कृष्णपाक्षिका नारका न क्रियावादिनोऽपितु अक्रियावादिनो यावद्वैनयिकवादिनो भवन्तीति भावः । ' एवं एए णं कमेणं जच्चैव जीवाणं वत्तन्त्रया' एवमेतेन - उपरि दर्शितप्रकारेण यैव जीवानां वक्तव्यता कथिता 'सच्चेव नेरइयाणं वत्तन्त्रयाचि' सैव नैरािणां वक्तव्यताऽपि भणितव्या कियत्पर्यन्तं जीववक्तव्यताऽत्र भणितव्या तत्राह - 'जाव' इत्याहि, 'जात्र अणागारोव उत्ता' यावदनाकारोपयोगयुक्ता एतदन्तप्रकरणं सर्वमिहापि ज्ञातव्यम् अज्ञानित आरभ्य साकारोपयोगयुक्तान्त सम्पूर्ण प्रकरणस्य संग्रहो ज्ञातव्यइति । 'नवरं जं अत्थि तं भणियच्च' नवरं यद् ज्ञानादिकं यस्यास्ति विद्यते तस्य तदेव भणितव्यम् 'सेसं न भष्णई' शेषं न होते हैं । ' एवं ' जाव काउलेस्सा' सश्यनारक के जैसे ही कृष्णलेइयावाले, नील श्यावाले और कापोतलेइयां वाले नैरथिक जीव क्रियावादी भी होते हैं यावत् वैनयिकवादी भी होते हैं । 'कहपक्खिया किरिया विवज्जिया' कृष्णपाक्षिक नारक क्रियावादी नहीं होते हैंकिन्तु क्रियावादी यावत् वैनधिकवादी होते हैं । 'एवं एएणं कमेणं जच्चेव जीवाणं वत्तव्वया 'इस प्रकार से ऊपर में प्रकटित किये गये अनुसार जो जीवों की वक्तव्यता कही गई है, 'सच्चेव नेरइयाणं वक्तव्या वि' वही वक्तव्यता यहां नैरथिकों के सम्बन्ध में 'जाव अणागारोवउता' यावत् अनाकारोपयोगवाले नैरविकों के प्रकरण तक सब कहनी चाहिये । 'नवरं जं अस्थि तं भाणियव्वे' परन्तु इस वक्तव्यता में जो जिसके हो यही उसके कहना चाहिये। 'सेसं न भाइ' और
वाय छे. 'एव' जाव काउलेस्मा' श्यावाणा नारम्ना स्थन પ્રમાણે જ કૃષ્ણુલેફ્સાવાળા, નીલલેસ્થાવાળા, અને કાપાત લેશ્યાવાળા, નૈરયિક જીવે ક્રિયાવાદી પશુ હાય છે, યાવત્ નૈનિયકવાદી પણ હોય છે. જુન पक्खिया किरिया विवज्जिया' धृष्णुपाक्षिनाडियावाही होता नथी. परंतु मडियवाही यावत् वैनयिवाही होय छे. 'एवं एपणं कमेणं जच्चेव जीवाण बत्तव्वया' भी प्रमाणे उपर तावेव प्रारथी भवाना संबंधमा ने अथन उडेल छे, 'सच्चेव नेरइयाणं वत्तव्त्रया वि' मेन इथन महिया नैरथि है। ना संधी 'जाव अणागारेविउत्ता' यावत् अनारोपये. जवाजा नैरथिना 'अर पर्यन्त सघणु' स्थन डे' ले 'नवर' जं अत्थि त' भाणियनं' परतु मा स्थनमां ने स्थान लेना समधी होय ते स्थान तेने अहेवाले थे. 'सेसँ