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________________ ८८४ भगवतीसूत्रे द्विइया वि जाव कलिओगसमयहिइया वि' कृतयुग्मसमयस्थितिका अपि भवन्ति यावत-यावत्पदेन व्योजसमयस्थितिका अपि द्वापरयुग्मसमयस्थितिका अपि एवं कल्योजसमयस्थितिका अपि भवन्तीति । 'एवं जाव अणंतपएसिया' एवम्-अनेनैव प्रकारेण द्विपदेशिकेभ्य आरभ्य त्रि-चतुः-पञ्च-पट्-सप्ताऽष्टनवदशसंख्याताऽसंख्यातानन्तप्रदेशिकाः पुद्गळा अपि ओघादेशेन भजनया-कदाचित् प्रत्येक चतूराशिसमयस्थितिका भवन्ति । विधानादेशेन विशेषमाश्रित्य प्रत्येकं चतूराशिसमयस्थितिका अपि भवन्तीति विज्ञेयम् । 'परमाणुपोग्गले णं भंते !' परमाणु पुद्गळः खलु भदन्त ! 'कालवन्नपज्जवेडिं' कालवर्णपर्यायः, 'कि कडजुम्मे हैं। 'विहाणादेसेणं' विधानादेश अर्थात विशेष की अपेक्षा से ये परमाणु पुद्गल 'कडजुम्मसमयहिश्या वि जाव कलिओगसमयहिइया वि' कृतयुग्मसमय की स्थितिवाले भी होते हैं, द्वापरयुग्मसमय की स्थिति वाले भी होते हैं, व्योजसमय की स्थितिवाले भी होते हैं और कल्पोज समय की स्थितिवाले भी होते हैं। ‘एवं जाव अणंतपएसिया' इसी कथन अनुसार द्विप्रदेशिकों से लेकर तीन, चार, पांच, छह, सात, आठ, नव, एवं दशप्रदेशिक, संख्यात प्रदेशिक असंख्यात प्रदेशिक और अनन्त प्रदेशिक पुद्गल ओघादेश की अपेक्षा भजनासे प्रत्येक कदाचित् पद को लेकर चारों राशी की समयस्थितिवाले होते हैं। . और विधानादेश से अर्थात् विशेष की अपेक्षा प्रत्येक चारों राशि की समय स्थितिवाले भी होते हैं ऐसा समझना चाहिये। 'परमाणुपोग्गले of भंते !' इस सूत्रद्वारा अब श्रीगौतमस्वामी... यो। समयनी स्थितियाणा हाय छे. 'विहाणादेसेणं' विधनादेश भी विशेषनी अपेक्षाथी मा ५२भा पुरस 'कडजुम्मसमयद्विइया वि जाव कलिओगसमयट्टिइया वि' कृतयुभ समयनी स्थितिवाणा ५५ डाय छ, द्वा५२युमસમયની સ્થિતિવાળા પણ હોય છે. એજ સમયની સ્થિતિવાળા પણ હોય - छ. अने ४८ये समयनी स्थितिवाणा प डाय छे. 'एव जाव अणंतपए सिया' मेश प्रभारी विदेशी an , या२. पाय, छ, सात, 28, નવ અને દશપ્રદેશિક સ્કંધ સંખ્યાતપ્રદેશી અસંખ્યાત પ્રદેશ સ્કંધ અને અનંત : પ્રદેશી પુતલ ઠંધ ઓઘાદેશની અપેક્ષાથી ભજનાથી દરેક ઈવાર-એ પદને . - લઈને ચારે રાશી રૂ૫ સમયની સ્થિતિવાળા હોય છે, અને વિધાનદેશથી અર્થાત વિશેષની અપેક્ષાથી પણ દરેક ચારે રાશીની સમયસ્થિતિવાળા હોય છે તેમ सभा'. 'परमाणुपोग्गले णं भंते !' मा सूत्रा। वे श्री गौतमपाभी'
SR No.009325
Book TitleBhagwati Sutra Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages972
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size59 MB
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