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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२५ उ.४ सू०९ पुद्गलानां कृतयुग्मादित्यम् ओगे' कृतयुग्मः चतुःपदेशिकः स्कन्धो भवति नो व्योजो नो वा द्वापरयुग्मो । 'नवा कल्योज़रूप इति । 'पंचपएसिए जहा परमाणुपोग्गले' पञ्चपदेशिकः स्कन्धों यथा परमाणुपुद्गलः, पञ्चपदेशिका स्कन्धः परमाणुपुद्गलवदेव-तथाहि-न कृतयुः । मो न वा ज्योजो न वा द्वापरयुग्मः किन्तु कल्योजरूर एव भवतीति भावः, चतु संख्ययाऽपहारे एकमात्रस्यैव शेषात् । 'छप्पएसिए जहा दुप्पएसिए' पट्मदेशिको. यथा.द्विपदेशिका, पट्पदेशिकः स्कन्धो न कृतयुग्मो न वा न्योनो न कल्योजोऽपितु द्वापरयुग्म एव भवतीत्यर्थः चतुः संख्ययाऽपहारे. द्विशेषात् । 'सत्तपएसिए जहा तिप्पएसिए' सप्तप्रदेशिको यथा त्रिप्रदेशिका, सप्तपदेशिकः स्कन्धो न कृतः चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध कृतयुग्मरूप है योजरूप नहीं है द्वापरयुग्मरूप नहीं है और न वह कल्योजरूप है। 'पंचपएसिए जहा परमाणुपोग्गले' पांचप्रदेशोवाला स्कन्ध परमाणु पुद्गल के जैसे केवल कल्पोजरूप ही होता है, कृतयुग्मरूप योजरूप अथवा द्वापरयुग्मरूप नहीं होता है। क्यों कि चार की संख्या से अपहार करने पर एक अवशिष्ट. रहता है । 'छप्पएसिए जहा दुप्पएसिए' जिस प्रकार द्विप्रदे शिक स्कन्ध द्वापरयुग्मरूप कहा गया हैं उसी प्रकार से छह प्रदेशी स्कन्ध भी द्वापरयुग्मराशिरूप ही कहागया है। ज्योजरूप अथवा कृतयुग्मरूप अथवा कल्योजरूप नहीं कहा गया है । छह ६ संख्या को चार से अपहृत करने पर न तीन अवशिष्ट रहते हैं, न चार अवशिष्ट रहते हैं और न एक अवशिष्ट रहता है । दो ही अपशिष्ट रहते हैं । है-'गोयमा! कडजुम्मे नो तेओए नो दावरजुम्मे नो कलिओगे' गीतमा ચાર પ્રદેશવાળે સ્કંધ કૃતયુગ્મ રૂપ છે. એજ રૂપ નથી. તે દ્વાપરયુગ્મ પણ नथी,, म त ल्या४ ३५ ५५ नथी. 'पंचपएसिए जहा परमाणुपोग्गले' પાંચ પ્રદેશવાળ સ્કંધ પરમાણુ પુદ્ગલ પ્રમાણે કેવળ કલ્યાજ રૂપ જ હોય છે. કૃતયુગ્મ રૂપ જ રૂપ અથવા દ્વાપરયુગ્મ રૂપ હેતે નથી. કેમકે ૪ ચારને અપહાર કરતાં તેમાં એક જ બાકી રહે છે. - 'छप्पएसिए जहा दुप्पएसिए' रे प्रभाओं में प्रशवाणी ४५ ५२ યુગ્મ રૂપ કહેલ છે, એ જ પ્રમાણે છ પ્રદેશવાળો કંધ પણ દ્વાપરયુગ્મ રાશિ રૂપ જ કહેવામાં આવેલ છે. એજ રૂપ અથવા કૃનયુમરાશિ રૂપ અથવા કજ રૂપ કહેલ નથી. છ ની સંખ્યાને ચારથી અપહાર કરવાથી બેજ શેષ રહે છે. ચાર બાકી રહેતા નથી તેમ એક પણ બાકી રહેતો નથી જ भये छे तथा तनापरयुगभराशी ३५ भानामां आवे छे. 'सत्तपएसिए जहा तिप्पएसिए' सात प्रदेशवाणी २३ त्रय प्रशाणा २६ धनी म श्योर
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