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भगवती
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जुम्मे नो तेओए' नो कृतयुग्मो द्विप्रदेशिकः स्कन्धो नो वा योज, किन्तु 'दावरजुम्मे' द्वापरयुग्मः, 'नो कलिभोगे' नो क्ल्योज इति । 'तिपए सिए पुच्छा' निदेशिका पृच्छा, हे भदन्त । त्रिपदेशिकः स्कन्ध किं कृतयुग्मः त्रयोजी द्वापरयुग्मः कल्योजो वेति प्रश्नः । भगवानाह - गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'नो कडजुम्मे तेओए नो दावरजुम्मे नो कलिभोगे' नो कृतयुग्मः त्रिपदेशिकः कन्धः किन्तु योजः नो द्वापरयुग्मः नो कल्योजरूपो वा भवतीति । 'चउपर सिए पुच्छा' चतुःप्रदेशिकः पृच्छा हे भदन्त । चतुःप्रदेशिकः स्कन्ध कि कृतयुग्मः त्रयोजो द्वापरयुग्मः कल्योजो वेति प्रश्नः । भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम! 'कडजुम्मे नो तेओगे नो दावजुम्मे नो कि नो जुम्मे नो भए, दावजुम्मे, नो कलिओगे' हे गौतम । द्विप्रदेशिक स्कन्ध प्रदेशार्थ में न कृनयुग्मरूप है न कल्योजरूप है न वह ज्योज रूप है किन्तु द्वापरयुग्मरूप है 'तिप्पएसिए पुच्छा' इस सूत्र द्वारा गौतम स्वामी ने प्रभुश्री से पूछा- हे भदन्त ! त्रिप्रदेशिक स्कन्ध क्यो कृतयुग्मरूप है ? अथवा योजरूप है ? अथवा द्वापरयुग्मरूप है ? अथवा कल्पोजरूप है ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं- 'गोधमा ! नो
जुम्मे, तेओए, नो दावरजुम्मे, नो कलिभोगे' हे गौतम! त्रिपदे शिक स्कन्ध न कृतयुग्मरूप है, न द्वापरयुग्मरूप है, न कल्पोजरूप है किन्तु योजरूप है। 'चउपपसिए पुच्छा' हे भदन्त । चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध क्या कृतयुग्मरूप है ? अथवा योजरूप है ? अथवा द्वापरयुग्मरूप है ? अथवा कल्पोजरूर है ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं-'गोमा !
जुम्मे, नो भए, नो दावरजुम्मे, नो कलिओगे' हे गौतम! 'नो कडजुम्मे नो तेश्रोगे दावरजुम्मे नो कलिओगे' हे गीतम् ! मे अहेशवाणी સ્કંધ મૃતયુગ્મ રૂપ નથી, કલ્યાજ રૂપ નથી, Àાજ રૂપ પણ નથી પરંતુ द्वापरयुग्भ ३५ छे. 'तिप्पएसिए पुच्छा' मा सूत्र द्वारा श्रीगौतमस्वाभीभे પ્રભુશ્રીને એવુ' પૂછ્યું છે કે હે ભગવત્ ત્રણ પ્રદેશવાળેા સ્કંધ શુ કૃતયુગ્મ રૂપ છે? અથવા ત્ર્યાજ રૂપ છે? અથવા દ્વાપરયુગ્મ રૂપ છે ? અથવા કલ્ચાજ પ छे? या प्रश्नना उत्तरमा प्रभुश्री गौतमस्वाभीने हे छे ४- गोयमा ! नो कह जुम्मे तेओए नो दावरजुम्मे नो कलि मोगे' हे गौतम! त्रथु प्रदेशवाणी સ્કંધ મૃતયુગ્મ રૂપ નથી. દ્વાપરયુગ્મ રૂપ નથી. તેમ કલ્પેજ રૂપ પણ નથી परंतु ३५ छे. 'चउप्पए सिए पुच्छा' हे लगवन् यार પ્રદેશવાળા સ્કંધ શું કૃતયુગ્મ રૂપ છે? અથવા વ્યેાજ રૂપ છે? અથવા દ્વાપરયુગ્મ રૂપ છે? અથવા કલ્ટેજ રૂપ છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રમદયાલુ >ભુશ્રી કહે છે