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प्रन्द्रिका टीका श०२५ उ.२ सू०४ स्थितास्थितद्रव्यग्रहणनिरूपणम् ५८९ 'नवरं नियमं छद्दिसि' नवरं नियमात् पडूदिशम्, मनोयोगतया तथा द्रव्याणि गृहगाति यथाकार्मणशरीरं स्थितान्येव गृह्णाति न तु अस्थितानीत्यर्थः केवलं तत्र व्याघातेन इत्याद्युक्तम् इह तु नियमात् षडूदिशमित्येव वक्तव्यम् त्रसनाडीमध्ये एव मनोद्रव्यग्रहणसद्भावात् त्रनाडीव हिर्गतानां मनोद्रव्यं न भवति तत्र स्थावराणामेव सद्भावात् मत्रोद्रव्याभावादिति । ' एवं वह जोगता' एवं वचो - योगतयापि मनोद्रव्यवद् वागद्रव्याण्यपि स्थितान्येव गृहगातीत्यर्थः । 'कायजोग
शरीर के जैसा कथन जानना चाहिये । अर्थात् वह स्थितद्रव्यों को ही ग्रहण करता है किन्तु अस्थिनद्रव्यों को नहीं' 'नवरं नियम छद्दिसिं' वहां कार्मणशरीर के प्रकरण में व्याघात से ऐसा कहा है परन्तु यहां पर जो पौद्गलिक द्रव्य का ग्रहण होता है वह नियम से छहों दिशाओं में से होता है क्योंकि मनोद्रव्य का ग्रहण वसनाडी के भीतर ही होता है । इसीलिये यहां व्याघात का अभाव कहा गया है। सनाडी से बाहर मनोद्रव्य का अभाव है । इसलिये सनाडी से बहिर्गत जीवों को मनोद्रव्य नहीं होता है । त्रसनाडी से बाहर स्थावरों का ही सद्भाव रहता है । इसलिये वहां पर मनोद्रव्य का अभाव कहा गया है । 'एवं बइजो गत्ताए वि' इसी प्रकार से बाग्योगी जीव भी वचनयोग द्रव्यों का ग्रहण करता है । अर्थात् वह भी बलवाडी के भीतर ही होता है और स्थित वचन योग्य द्रव्यों का ही ग्रहण करता है अस्थित द्रव्यों का नहीं। इस सम्बन्ध में और रूप कथन नवोद्रव्य के प्रकरण में कथित कथन के जैसा हो जानना चाहिये । 'कायजोगत्ताए जहा ओरा
ગના સંબંધમાં કાણુ શરીર સંબધી કથન પ્રમાણેનું કથન સમજવું જોઇએ. 'नवर' नियमं छद्दिसिं' ५२तु महीया ने चौद्धसिङ द्रव्येोनु श्रणु होय छे, તે નિયમથી છ એ ક્રિશ એમાંથી ડાય છે. અને સ્થિત દ્રવ્ય જ ગ્રહણ થાય છે. અસ્થિતદ્રવ્ય ગ્રહણ કરાતુ નથી કેમકે મનેાદ્રવ્યનું ગ્રહણ ત્રસ નાડીની અંદર જ ડાય છે. એ કારણથી અહિયાં વ્યાઘાતનેા અભાવ કહ્યો છે. ત્રસ નાડીની બહાર મને દ્રવ્યના અભાવ છે, તથા ત્રસનાડીની બહાર રહેલા જીવાને 'મનેાદ્રત્ર્ય હૈ।તુ' નધી. ત્રસ નાડીની બહાર સ્થાવરાના જ સદ્ભાષ રહે છે. तेथी त्यां भनोद्रव्यनो कला उद्योछे 'एव' वइजो गत्ताए वि' शेन प्रभा વચનયેાગ વાળા જીવ પણ વચનયેાગ દ્રવ્યાને ગ્રહણુ કરે છે. તે તે પણ ત્રસ નાડીની અંદર સ્થિત જ વચનયાગ્ય દ્રવ્યાનુ ગ્રહણ કરે છે. અસ્થિત દ્રવ્યોને ગ્રહણ કરતા નથી, આ સબંધમાં ખાકીનું સઘળુ કથન મનેાદ્રવ્યના