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भगवतीस्त्रे ४८० गव्यूतानि 'सेसं तहेव निरवसेस' शेपम्-अवगाहनातिरिक्तम् सर्वमपि तथैव पूर्ववदेव अगन्तव्यमिति ९। 'जइ संखेज पासाउयसन्निमणुस्सेहितो उबवज्जति हे भदन्त ! यदि संख्येयवर्पायुष्कसंज्ञिमनुष्येभ्य आगत्योत्पद्यन्ते सौधर्मदेवलोके तदा कियत्कालस्थितिकसौधर्मदेवलोके उत्पधन्ते इति प्रश्नः । उत्तरमाह-एवं संखे. ज्जवासाउय' इत्यादि । 'एवं संखेज्जवासाउयसन्निमणुस्साणं जहेत्र असुरकुमारेसु उत्रवज्जमाणाणं तहेच णवगमगा भाणियव्या' एवं संख्येयर्पायुष्कसंज्ञिमनुष्याणां करना चाहिये । 'पच्छिमेसु ति गमएस्तु जहन्नेणं तिन्नि गाउयाई उक्कोसेण वि तिन्नि गाउयाई अन्तिम ७ वें ८वें और नौवें गमों में जघन्य से अवगाहना का प्रमाण तील कोश का और उत्कृष्ट से भी अवगाहना का प्रमाण तीन कोश का कहा गया है 'सेसं तहेव निरव सेसं' इस प्रकार अवगाहना से अतिरिक्त ओर सब द्वारों का कथन पहिले कहे अनुसार ही जानना चाहिये ।। - अब गोलमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं--'जइ संखेन्जवासाउय. सन्निमणुस्से हितो उववज्जति' हे भदन्त ! यदि वे सौधर्मदेव संख्यातवर्षा युष्क संज्ञी मनुष्यों से आकरके उत्पन्न होते हैं तो वे कितने काल की स्थिति वाले सौधर्म देवों में उत्पन्न होते हैं ? तात्पर्य यही है कि संख्यात वर्षायुष्क संज्ञी मनुष्य यदि सौधर्म देव लोकों में उत्पन्न होते हैं तो वे कितने काल की स्थिति वाले सौधर्म देवलोकों में उत्पन्न होते हैं? तो इस प्रश्न के उत्तर में प्रभु कहते हैं-'एवं संखेज्जवासाउय०' हे ४थन ४ी देवु नये. 'पच्छिमेसु तिसु गमएसु जहन्नेणं तिन्नि गाउयाई, 'सक्कोसेण वि तिन्नि गाउयाई' छेदा अY गममा सटर , सातमा, मा. અને નવમા ગમનાં જઘન્યથી અવગાહનાનું પ્રમાણ ત્રણ ગાઉનું કહેલ છે, सेंस तहेव निरवसेस' मा प्रभार अपंगाना शिवाय मी सधंगा द्वारा समाधी ४थने पडता प्रमाणे १ सभा. सी . . .
वे गौतमस्वामी प्रभुने से पूछे छे 8--'जइ संखेजवासाउयसन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जति' 8 लापन ने त सोधभर सध्यातवर्ष ना आयु ષ્યવાળા સંસી મનુષ્યોમાંથી આવીને ઉત્પન્ન થાય છે, તે તેઓ કેટલાકળની સ્થિતિવાળા સૌધર્મ દેવામાં ઉત્પન્ન થાય છે? તાત્પર્ય એ છે કે–સંખ્યાત વર્ષની આયુષ્યવાળા સંજ્ઞી મનુષ્ય જે સૌધર્મ દેવલોકમાં ઉત્પન્ન થાય છે, તે તેઓ કેટલા કાળની સ્થિતિવાળા- સૌધર્મ દેવલોકમાં ઉત્પન્ન થાય છે! मा प्रश्न उत्तरमा प्रभु ४ छ है-'एवं संखेज्जवासाउय.. जीता