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मैन्द्रिका टीका श०२४ उ. २४ सू०१ सौधर्मदेवोत्पत्तिनिरूपणम्
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याइ' उत्कर्षेणापि त्रीणि गव्युतानि तृतीयगमे जघन्यत उत्कृष्टतश्च षड्गव्यूतानि कथितानि अत्र तु जघन्योत्कृष्टाभ्यां त्रीणि गव्यूतानीति वैलक्षण्यमिति: 'चउत्थ:गमए जह-नेणं गाउयं' चतुर्थगमे जघन्यावगाहना गव्यूतम् 'उकोसेण वि गाउय' उत्कर्षेणापि गव्युतममाणैव चतुर्थगमे पूर्वं जघन्येन धनुः पृथक्त्वमवगाहना कथिता उत्कर्षेण तु द्वे गते कथिता, अत्र तु जघन्योत्कृष्टाभ्यां गव्यृतमेवोक्तमिति भवत्येव वैलक्षण्यमिति । एवमन्यदपि भावनीयम्, 'पच्छिमएस तिसु गमरसु पश्चिमेषु अन्तिमेषु सप्तमाष्टमन रमेषु त्रिष्वपि गमेषु 'जहन्नेणं विनि गाउयाइ ' जघन्येन त्रीणि गव्यृतानि 'उक्कोसेण वि तिनि गाउयाइ' उत्र्षेणापि त्रीणि वितिन्नि गाउयाई' तृतीय गम में जवत्य और उत्कृष्ट से ३-३कोश की शरीरावगाहना को प्रमाण है, वहां पर सर्वत्र आदि के दोगमकों में जघन्य अवगाहना का प्रमाण धनुःपृथक्त्व का कहा गया है. और उत्कृष्ट से ६ गब्यून का कड़ा गया है । परन्तु यहां जघन्य अबगाहना दो आदि के गमकों में गव्यूत प्रमाण कही गई है और उत्कृष्ट अवगाहना तीन गव्युत (तीन कोश) प्रमाण कही गई है तथा तृतीय गम में वहां पर जघन्य से और उत्कृष्ट से ६ गव्युत (छकोश) प्रमाण अवगाहना कही गई है । परन्तु यहां पर जघन्य से और उत्कृष्ट से वह ३ - ३ कोश प्रमाण कही गई है । 'चउत्थगमए जहन्नेणं गाउंय' चतुर्थ गमक में जघन्य अवगाहना एक कोश प्रमाण है और 'उक्को: सेण वि गाउयं' उत्कष्ट से भी एक कोश प्रमाण है । चतुर्थ गम में जघन्य अवगाहना पहिले धनुः पृथक्त्व प्रमाण कही गई है और उत्कृष्ट से दो कोश प्रमाण कही गई है । परन्तु यहां वह जघन्य और उत्कृष्ट से कोश प्रमाण ही कही गई है। इसी प्रकार से और भी कथन भावित હનાનું પ્રમાણુ છે. પહેલાના એ ગમામાં જઘન્ય અવગાહનાનું પ્રમાણ :અંધે ધનુષ પૃથતુ કહેવામાં આવ્યુ છે અને ઉત્કૃષ્ટથી ૬ છ ગાઉનું કહેલ છે. પર`તુ અહિયાં જધન્ય અવગાહના એ વિગેરે ગમેામાં ગબૂત પ્રમાણુની કડી છે. અને ઉત્કૃષ્ટ અવગાહના ત્રણુ આઉ પ્રમાણુની કહી છે તથા ત્રીજા ગમમાં જધન્યથી અને ઉત્કૃષ્ટથી ૬ છ ગબૂત (છ ગાઉ) પ્રમાણુની અવગાહના કહેલ છે.' પરંતુ અહિયાં જઘન્યથી અને ઉત્કૃષ્ટથી ૩-૩ ત્રણ ત્રણ ગાઉ પ્રમાણુની
'छे, 'उत्थगमए जहन्नेणं गाउयं' थोथा गभमां धन्य अवगाहना मे गाउ अभाणुनी छे भने 'उक्कोसेण वि गाउयं' उत्कृष्टथी यो गा પ્રમાણની છે. ચેથા ગમમાં જઘન્ય અવગાહના પહેલાં ધનુષ પૃથત્વ પ્રમાણુવાળી છે, અને ઉત્કૃષ્ટથી એ ગાઉ પ્રમાણુના કહી છે. એજ રીતે ખીજુ પણ
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