________________
प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२४ उ.२४ सं०१ सौधर्मदेवोत्पत्तिनिरूपणम् ... मिति । 'नवरं ठिसंवेहं च जाणेज्जा' नवरं-केवलं स्थिति कायसंवेध चै भिन भिन्नरूपेण स्व स्वभवमाश्रित्य जानीयात् 'जाहे अप्पणा जहन्न कालहिइयों भवेर ताहे तिसु वि गपएम' यदा आत्मना जघन्यकालस्थितिको भवति तदा त्रिष्वपि गमकेषु 'सम्मविट्ठी वि मिच्छट्ठिी वि' सम्यग्दृष्टिरपि भवति मिथ्याष्टिरपि भवति 'नो सम्मामिच्छादिट्टी' नो सम्यगूमियादृष्टिः, मिश्रष्टेरिह निषेधा • क्रियते जघन्यस्थितिकस्य मिश्रष्टेरसंभवात्, अनघन्यस्थितिकस्य तु दृष्टित्रयमपि
संभवत्येवेति। 'दो णाणा दो अन्नाणां नियम द्वे ज्ञाने द्वे अज्ञाने नियमतः, “जघन्यस्थितेरवधिरिभङ्गयोरभावात् 'सेसं तं चे' शेषं तदेवेति ९।।
अतिदेश किया गया है। अतः पृथिवीकायिक प्रकरण के जैसा ही कथन यहां पर जानना चाहिये। परन्तु 'नवरं ठिई संवेहं च जाणेज्जा' परन्तु 'यहां स्थिति और संवेध अपने २ भव को आश्रित करके भिन्न २ रूप से जानना चाहिये। 'जाहे अप्पणा जहण्णकालटिइओ भवई' परन्तु जब वह संख्यातवर्ष की आयु वाला संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यश्च जीव जघन्य स्थिति वाला होता है और सौधर्मदेवों में उत्पन्न होने के योग्य होता है तब वहां 'तिसु वि गमएस्लु' तीनों गमकों में वह 'सम्मदिट्ठी वि मिच्छादिट्टी वि' सम्यग् दृष्टि भी होता है और मिथ्यादृष्टि भी होता है 'नो सम्मामिच्छा. दिट्ठी' परन्तु वह मिश्रष्टि नहीं होता है क्योंकि जो जघन्य स्थिति वाला होता है, उसको मिश्रदृष्टि का अभाव होता है। अजवन्य स्थिति वाले में ही तीनों दृष्टियों का सद्भाव होता हैं । 'दो गाणा दो .. अन्नाणा नियम' नियम से यहां दो ज्ञान और दो अज्ञान होते हैं। દેશ કરેલ છે, જેથી પૃથ્વિકાયિક પ્રકરણ પ્રમાણે જ અહિયાં પણ સમજવું. परतु महिया स्थिति भने यस वेध 'नवर ठिइ संवेहच जाणेज्जा' मा વચન પ્રમાણે પિત પિતાના ભવને આશ્રિત કરીને જુદા જુદા રૂપથી જાણવા
मे. 'जाहे अप्पणा जहण्णकालदिइओ भवइ' परंतु क्यारे ते सभ्यात વર્ષની આયુષ્યવાળો સંજ્ઞી પંચેન્દ્રિય તિર્યંચ જઘન્ય સ્થિતિવાળો હોય છે, भने सौधर्म वाम 'पन्न थाने योज्य डाय छे. त्यारे त्या 'तिसु वि गमएसु' त्रय सभामा त 'सम्मदिट्ठी वि मिच्छादिट्ठी वि' सभ्य ष्टा पर डाय छ, भने मिथ्या टिवाणा पर डाय छ, 'नो सम्मामिच्छादिट्ठी' ५२'तुत મિશ્ર દષ્ટિવાળા હોતા નથી. કેમકે જે જઘન્ય સ્થિતિવાળા હોય છે, તેમને મિશ્ર દૃષ્ટિનો અભાવ હોય છે અજઘન્ય સ્થિતિવાળાઓમાં જ ત્રણે દૃષ્ટિઓને • समाव जाय छ, 'दो नाणा दो अन्नाणा नियम नियमयी महिया में शान