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...प्रमै यन्द्रिका टीका श०२४ उ.२३ १०१ ज्योतिप्केपु जीवानामुत्पत्तिः ४५६
नगरम् आगाहनाविशेषः-अवगाहनाभेदः, तगाहि -'पढ मेसु तिसु गमएसु पथमेषु त्रिषु गमकेषु प्राथमिकगमत्रये शरीरावगाहनायां वैलक्षण्यं विद्यते, तदेव दर्शयति 'ओगाहणा' इत्यादि 'ओग.हणा जहणेणं सातिरेगाई नव धणुमयाई' अवगाहना प्राथमिक गमत्रये जघन्यतः सातिरेकाणि नवधनुःशतानि इयमवगाहना विमलवाहनकुलकराद पूरकाली नमनुष्यापेक्ष याजसेयेति, 'उक्कोसेगं विनि गाउयाइ' उत्कग त्रीणि गव्य तानि, एतच्चैकान्तसुरमादिकाल माविमनुष्यापेक्षया अभी कहे गये हैं उसी प्रकार से मनुष्यों के भी सात गमक कह लेना माहिये। प्रधम के 3 गमक मध्यम के तीन गमकों में से चौथा गमक
और अन्त के ३ गमक ये सान गमक यहां कहे गये हैं। सो पहिले जमा नका निरूप ग किया गया है वैसा ही इनका निरूपण यहाँ पर
भी कर लेना चाहिये । 'नवरं' परन्तु 'ओगाहणा विसेसो' अवगाहना . की विशेपता है ।-'पढमेसु तिस्तु गमएसु' प्रधम के तीन गमकों में
अर्थात् प्रथम के तीन गमकों में शरीरावगाहना में भेद है-जैसे'ओगाहणा जहन्नेणं सातिरेगाई नव धणुसयाई' प्रथम के तीन गम में शरीरावगाहना जघन्य से सातिरेक-कुछ अधिक ९०० नौलो धनुष की है। यह जघन्य अवगाहना विमलवाहन कुलकर से पूर्व कालीन मनुष्यो की अपेक्षा से कही जाननी चाहिये। तथा 'उक्कोसेणं तिनि गाउ. । याई उत्कृष्ट तीन कोश की है। यह उत्कृष्ट अवगाहना-एकान्ततः , વામાં આવ્યા છે, એજ પ્રમાણેના મનુષ્યના પણ સાત ગમે કહેવા જોઈએ. પહેલા ત્રણ ગમો, મધ્યના ત્રણ ગમમાંથી ચોથો ગમ અને છેલ્લા ત્રણ ગમે આ સાત ગમે અહિયાં કહ્યા છે, તે પહેલા જે પ્રમાણે તેનું નિરૂ પણ કરવામાં આવ્યું છે, એ જ પ્રમાણે તેનું અહિયાં નિરૂપણ કરી લેવું नेमे. 'नवर' पतु 'ओगाहणा विसेसो' अगाडना समाधी स्थानमा विशेष आवे छ, 'पढमेसु तिसु गमएसु' ५त्रयमा अर्थात् , परेसा - 'मामा.शरीर नाना A
मा . म योगाहणा बहन्ने मातिरेगाई णवणुसयाइ' eld! २५ शोभा सी. ; -२: A s धन्यथा साति२४-४४१ पधारे ८०० नवस धनुषनी छे. ।
આ જઘન્ય અવગાહના વિમલવાહન કુલકરથી પહેલાના મનુષ્યની અપે. साथी .zard, Arga. 'उक्कोसेणं तिन्ति गाउयाई अष्टथी