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કરંટ
भंगवतीस्त्र संवेधे यद्वैलक्षण्यं तद्दर्शयति-'नवरं कालादेसेणं जहन्ने दो अट्ठभागपलियोवमाई' नवरं कालादेशेन जघन्येन द्वे अष्टभागाल्योपमे द्वौ पल्योपमाष्टभागावियः पल्योपमस्य चतुर्थी श इति भावः, तत्रैकोऽसंख्यातायुष्कसम्बन्धी द्वितीययस्तु नारकज्योति कसंबन्धी एवं क्रमेण द्वौ पलयोपमाष्टभागौ भवत इति । 'उक्कोंसेणं चत्तारि पलिओवमाई वासप्तयसहस्समभहियाई उत्कर्षेण चत्वारि पल्योपमानि वर्षशतसहस्राम्यधि कानि, तत्र त्रीणि पल्योपमानि असंख्यातायुष्कसम्बन्धीनि, तथा एकं पल्योपमं सातिरेकं चन्द्रविमानज्योतिष्कसंवन्धि, एवं क्रमेण
और अनुबंध से अतिरिक्त ओर सघ कथन असुरकुमार के प्रकरण में जैसा कहा गया है वैसा ही है। कायसंवेध में जो भिन्नता हैं उसे प्रकट करने के अभिप्राय से 'नवरं कालादेसेणे जहन्नेणं दो अनुभागपलिओचमाई' ऐसा सूत्रकारने कहा है कि काल की अपेक्षा कायसंवेध जघन्य से पल्पोपम के दो आठवें भाग प्रमाण है। ये दो आठ भाग पल्योपम के चतुर्थांश रूप पडते हैं इनमें एक भाग असंख्यात आयुष्य सम्बन्धी होता है और द्वितीय भाग भारक ज्योतिष्क सम्बन्धी होता है इस क्रम से दो पल्योपमाष्टभाग होते हैं। 'उक्कोसेणं चत्तारि पलिओचमाई वाससयमहस्समभहियाई तथा उत्कृष्ट से वह कायसंवेध एकलाख वर्ष अधिक चार पल्पोपम का है। ये तीन पल्योपम असंख्यात आयुष्क सम्बन्धी हैं । और एक અસુરકુમારના પ્રકરણમાં જે પ્રમાણે કહેવામાં આવ્યું છે, એ જ પ્રમાણેનું કથન समन यसवेधना ४थनमा २ हाछे, ते मतावाना हेतुथी 'नवरं फालादेसेणं जहन्नेणं दी अनुभागपलिआवमाइ' प्रमाणुना सूत्र हो છે, આ સૂત્રપાઠથી એ સમજાવ્યું છે કે-કાળની અપેક્ષાથી કાયસંવેધ જઘ
ન્યથી પાપમના બે આઠમા ભાગ પ્રમાણ છે. આ બે આઠમા ભાગ પપસના ચતુર્થાંશ રૂપ હોય છે તેમાં એક ભાગ અસંખ્યાત આયુષ્ય વાળાને હોય છે. અને બીજો ભાગ તિષ્કનો હોય છે. એ ક્રમથી બે पक्ष्यापभने। मामे सास थाय छे. 'उकोसेण चत्तारि पलिओवमाई वासन यसहस्समम हियाई तथा ४थी ते यस देष मे दाम 4 अधि: यार પપમાને છે. આ ત્રણ પપમ અસંખ્યાત આયુષ્ય સંબંધી છે. અને એક સાતિરેક “કંઈક વધારે પાપમ ચન્દ્ર વિમાન જતિષ્ક સંબધી છે.