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प्रेमैयचन्द्रिका टीका शे०२४ उ. २२ सु०१ वानव्यन्तरेषु जीवानामुत्पत्तिः
oिtra उक्कोसेण विपलिओ मट्ठिएस' स एव यदि उत्कृष्टकालस्थितिकवानव्यंन्तरेपुत्पन्नो भवेत् तदा जघन्येन पल्योपमस्थितिकवानव्यन्तरेषु तथा उत्कृष्टोऽपि पल्योपस्थितिकेषु वानव्यन्तरेषु समुत्पद्यते, 'एस चैत्र वत्तव्वया'एपैव-पूर्वोक्तेन वक्तन्पता वक्तव्या सर्वमपि पूर्वोक्तमेव वक्तव्यम् 'नवरं ठिई सेजहन्ने पलिओ, उक्को सेणं विन्नि पलिओ माइ ' नवरम् - केवलं स्थितिः तस्य जघन्येन पल्योपमम् उत्कर्षेण त्रीणि पल्योपमानि । यद्यपि जघन्यतोऽसंख्यातवर्षायुष्काणां तिर्यग्योनिकानामायुः सातिरेका पूर्व कोटिर्निर्दिष्टा, तथापीह जघन्येन, पल्पोपममुक्तम् पल्योपमायुकेषु व्यन्तरेषु समुत्पत्स्यमानत्वात् समानायु के पुत्प त्तिरितिन्यायात् असंख्यातवर्षायुकः सः स्त्रायुषो वृहत्तरायुकेषु देवेषु नोचते,
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सो 'चेव उक्कोसकलट्ठिएस उवबन्नो जहन्नेणं पलिओ मह उक्को सेण विपलिओपमडिएस उवचन्नो', यदि वही संज्ञी पञ्चेन्द्रिय:: तिर्यग्योनिक जीव उत्कृष्ट काल की स्थितिवाले वानव्यन्तरों में उत्पन्न होता है तो वह जघन्य से पल्योपम की स्थितिवाले वानव्यन्तरों में उत्पन्न होता है और उत्कृष्ठे से भी पल्योपन की स्थितिवाले वानव्य-:न्तरों में उत्पन्न होता है 'एस चैव वत्तन्वया' इस प्रकार से यही पूर्वोक्त वक्तव्यता कहनी चाहिये परन्तु 'नवरं ठिई से जहन्नेणं पलिओव उक्को सेणं तिनि पलिओमाई' उसकी स्थितिजघन्य से एक पल्योपम की है और उत्कृष्ट से तीन पल्पोपम की है यद्यपि जघन्ध से असंख्यात वर्ष की आयुवाले तिर्यग्योनिक जीवों की आयु ज्ञातिरेक पूर्वकोटि की कही गई है फिर भी यहां पर जवन्य से जो एक पल्योपम की आयु कही गई है वह पत्योपम की आयु वाले व्यन्तरों में उनका आगे उत्पादन होने के कारण से कही गई है 'समान आयु वाला वह संज्ञी
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'सो चेव उक्कोसका लट्टिइएस उववन्नो जहन्नेणं पलिओवमट्ठिइएस उक्कोसेणं वि पलिओ मट्टिइएस उत्रवन्नो' ले ते साज्ञी यथेन्द्रिय तिर्यय येोनिषाणी M ઉત્કૃષ્ટ કાલની સ્થિતિવાળા વાનભ્યતામાં ઉત્પન્ન થાય છે. તે તે જઘન્યથી પત્યોપમની સ્થિતિવાળા વાનન્યન્તરામાં ઉત્પન્ન થાય છે. અને ઉત્કૃષ્ટથી પણ
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यथेपिभंना स्थितिवाजा" वर्निव्यन्तराभी उत्पन्न थाय छे. 'एस चैव वत्तन्वया"" मा'शर्ते भी पूर्वोऽत प्रथन ०४ ४हेतु ले से. परंतु 'नवर' ठिई' से जहन्नेणं' पलिभोत्रम उकासेणं तिन्नि पलिओ माइ' तेनी स्थिति धन्यथी मे पहयायनी छे,मने उत्कृष्टथी त्रयस्योपनी छे ले धन्यथी असभ्यात वर्षनी આયુષ્યવાળા તિય ચયાતિવાળા જીવાનું આયુષ્ય સાતિરેક પૂર્વ કાટિનું કહ્યુ છે. તે પણ અહિયાં જધન્યથી જે એક પત્યેાપમનુ આયુષ્ય કહ્યુ છે, તે પત્યેાપમના આયુ વ્યવાળા વ્યંતરદેવામાં તેમના પહેલાં ઉત્પાદ થવાને કારણે કહ્યું છે. સરખા આયુષ્ય :
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