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मैन्द्रका टीका श०२४ उ. २० सू०६ देवेभ्यः प ० तिर्यग्योनि के षूत्पातः ३४५ भवति नान्येति भावः । 'सेसाणं एगा सुक्कलेस्सा' शेषाणां सनत्कुमार माहेन्द्रब्रह्मलोकातिरिक्तानामुपयुपरितनानी लान्तकादीनां देवानामेका शुक्ललेश्यैत्र भवतीति । "वेर नो इत्थि वेयगा? वेदे नोः स्त्रीवेदकाः सनत्कुमारादयो देवाः स्त्रीवे दका न मंत्रन्ति तत्र देवीनामभावात् स्त्रीवेदो न भवत्यर्थः किन्तु - 'पुरिसवेगा पुरुपवेदा भवन्ति तत्रैकः पुरुषवेद एव भवतीत्यर्थः । तथा-'नो नपुंसकवेयगा' तथा नपुंसकवेदका अपि न भवन्ति । नपुंसक वेदोऽपि तत्र न भवतीत्यर्थः । 'आउं बंधा जहा ठिपए : अयुरनुबन्धौ यथा स्थितिपदे- प्रज्ञापनायाश्चतुर्थपदे, यथास्थिeogarat कथितौ तथैव इद्दोपि तौ स्थित्यनुबन्धौ ज्ञातव्याविति । 'सेसं जहेव ईसाणगाणं' शेषं यथैव ईशानक देवानाम्' ईशानकदेवानां यथा यथा
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पहलेस्सा' सन'कुमार, माहेन्द्र, ब्रह्मलोक इनमें एक पद्मलेगा ही होती है । अन्य लेखाएँ नहीं होती हैं। 'सेसाणं एगा सुक्क, लेस्सा' सनत्कुमार, माहेन्द्र, ब्रह्मलोक, इनसे अतिरिक्ति कार कार के लान्तक आदि देवों के एक शुक्ललेश्या ही होती है । 'वेए 'नो इस्थिवेगा' वेद द्वार में इनदेवलोकों में स्त्रीवेद नहीं होता है। अर्थात् सनत्कुमार आदि देवलोक में देवियां नहीं होती हैं । किन्तु 'पुरिसवेयगा', पुरुषवेद.. - ही होता है तथा इसी प्रकार से वे 'नो नपुंगवेषणा' नपुंसक वेदवाले भी नहीं होते हैं क्यों कि देवों में नपुंसक वेद नहीं होता है । 'आउनु पंधा जहा ठिपए' प्रज्ञापना के चतुर्थ स्थितिपद में जैसे स्थिति और अनुबंध ये दो द्वार कहे गए हैं। वैसे ही वे यहां पर भी कहना चाहिये 'सेसं जहेब ईसाणगाणं' ईशानक देवों के जैसे जैसे परिमाण आदि द्वार
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છેઘા' સનકુમાર માહેન્દ્ર, બ્રાલેાક તેમાં એક પદ્મવેશ્યા જ હાય છે. બીજી वेश्याखे। डेाताग्नथी.. 'सेसाणं एगा सुक्कलेस्सा' सनत्कुमार, महेन्द्र, 'ब्रह्मठ, શિવાયના ' ઉપરના લાન્તક આદિવાને એક शुभ्स बेश्या ! ४ डाया' छे' 'वेए नो इत्थिवेयगा' वेह द्वारमा खीवेह होतो नथी '५२ ंतु 'पुरिसवेयगा' थुं३ष बेहवाना होय छे. सगवेयगा' नपुंसवेढवाजा पशु होता नथी.
तेश्रोने मने ये रीते तेथे 'नो नपुं भ-वामां नसावे होता
थी.' 'आउ अणुबधा जहां ठिइपए' प्रज्ञायना सूत्रना यथा स्थितिर्यहमां પ્રમાણે સ્થિતિ અને અનુત્રધ એ દ્વારા કહ્યા છે, એજ પ્રમાણે તે અહિયાં पिष्य हेवा लेखे, 'सेस जहेव ईसाणगाणं' ईशान देवाना परिमाशु विगेरे દ્વારા જે જે પ્રમાણે કહ્યા છે. એજ પ્રમાથે તે સઘળા અહિયા પણ કહેવા
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