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प्रमेयचन्द्रिका टीका श० २० उ०७ १०१ यन्यस्यनिरूपणम् ७ द्वैमानिकात्रीवेदस्यापि त्रिविधो बन्धो ज्ञातव्य इति । 'नवरं जम्म इन्धी वेदो अस्थि नवरं यस्य स्त्री वेदोऽस्ति तस्य स्त्रीवेदस्य बन्धो वक्तव्यो नान्यस्येत्यर्थः । 'एवं पुरिसवेयस्स वि णपुंमगवेयस्म वि' एवम्-एवमय-स्त्रीवेदवदेव पुरुप. वेदस्य तथा नपुंमकवेदस्यापि त्रिविधो बन्धो ज्ञातव्य इति । 'जाव वेमाणियाण' यावद् वैज्ञानिकानाम् स्त्रीवेदपुरुपवेदनपुंपकवेदानां त्रिमकारको बन्धो वातव्यः सर्वेपामेव संबन्धिनां स्त्रीपुनपुंमकवेदानं त्रिप्रकारको बन्धः प्ररूपणीय इत्यर्थः, विशेषस्तु एतावान् यदुदयस्य जीवस्य यागो वेदो मवति तस्यैव जीवस्य संबन्धिताशवेदस्य बन्धो निरूपणीयः, एनदेव कथयति ‘णवरे' इत्यादि, 'वरं जस्स जो अत्थि वेदो' नवरं यस्य जीवस्य यो वेदोऽस्ति तस्यैव जीवस्य संवन्धि वेदअसुरकुमारदेवों के जैसा स्त्रीवेद बंध तीन प्रकार का कहा गया है, उसी प्रकार से यावत् वैमानिक देवों के भी स्त्रीवेद बंध तीन प्रकार का होता है ऐसा जानना चाहिये 'नवरं जस्म इत्थीवेदो अत्धि' देवों के स्त्रीवेद का बंध नहीं होता है देवियों के होता है इसलिये यह नीवेद पंध देवियों के ही कहना चाहिये अन्यको नहीं। 'एवं पुरिमवेपस्स वि णपुंसगवेयस्स वि' इसी प्रकार से पुरुषवेद पंध और नपुंसकवेद पंध भी तीन प्रकार का होता है ऐसा समझ लेना चाहिये यह स्त्रीवेद, पुरुपवेद और नपुंसकवेद का तीन प्रकार का धंध यावत् वैमानिक जीवों तक को होता है नपुंसकवेद का बंध देवों को नहीं होता है इसलिये 'नवरं जस्स जो अस्थि वेदो' ऐसा कहा गया है कि जिस जीव को जो वेद का पंध होता है उस जीव को वह वेद का पंध तीन प्रकार का होता है मनुष्यगति में तीनों वेदों का सद्भाव होता है अतः यहां पर तीनों वेदों का बंध तीन प्रकार का होता है, देवगति में नपुंसमवेद को બંધ ત્રણ પ્રકારથી કહેલ છે, એજ રીતે યાવત વૈમાનિક દેવેને પણ સ્ત્રીવેદ 4 मारनी साय छे. तम अभा 'नवर जरस इत्यावेदो अत्थि'
ને જીવેદને બંધ થતું નથી દેવીને બીવેદને બંધ થાય છે. તેથી भाशा३ ५ वीयान १४७३ भय याने नलि एवं पुरिमयेगम वि नपुंसगवयम्स वि' से शत पु२५वे म अने नभाये ॥ ५॥ ત્રણ પ્રકારને થાય છે, તેમ સમજી લેવું. આ વેદ, પુરુ, અને નપું સકવેદને જે પ્રકારનો ખપ યાર માનિક સુધીના ને થાય છે. नसहने वाने सात नमी न जास जो अन्थि वेदो' એ પ્રમાણે કહેલ છે કે-જે અને જે વેદને બંધ થાય છે, તે અને તે વેદને બંધ ત્રણ પ્રકારથી થાય છે. મનુષગતિમાં ત્રણે પ્રકારના વેનો સ