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भगवतीसूत्रे तमाए अहे सत्तभाए य पुढवीए अंतरा समोहए समाणे जे भविए सोहम्मे जाव ईलीपभाराए उववाएयवो। पुढवीकाइए णं भंते ! लोहम्मीलाणाणं सणंकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए इमीले रयणप्पभाए पुढवीए, पुढविकाइयत्ताए उश्वज्जित्तए, से णं भंते! पुत्वि उववजित्ता पच्छा आहारेजा, सेव तं चेव जाब से तेणटेणं जाब णिक्खेवओ। पुढवीकाइए गं भंते ! सोहम्मीसाणा‘णं सणंकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए स्करप्पमाए पुढपीए पुढवीकाइयत्ताए उववजित्तए० एवं चव एवं जाव अहे लत्तमाए उबवाएयत्वो । एवं सणंकुमारमाहिंदाणं बंक्षलोग य कप्पस्त अंतरा समोहए समोहणित्ता पुणरवि जाव अहे सत्तमाए उववाएयवो, एवं वंभलोगस्स लंतगस्सय कप्पस्त अंतरा समोहए पुणरवि जाब अहे सत्तमाए, एवं लंतगस्त महासुकास्त कप्पस्स अंतरा समोहए पुणरवि जाव अहे सत्तमाए ? एवं महालुकल्म सहस्सालय कप्पस्स अंतरा पुणरविजाव अहे लत्तमाए, एवं सहस्सारस्स आणय पाणय कप्पाण य अंतरापुणरवि जाव अहे सत्तमाए, एवं आणय पाणयाणं आरणअच्चुयाण य कप्पाणं अंतरा पुणरवि जाव अहे सत्तमाए। एवं आरण अच्चुयाणं वेज्जविमाणाण य अंतरा जाव अहे सत्तमाए एवं गेवेजविमाणाणं अणुत्तरविलाणाण य अंतरा पुणरवि जाव अहे सत्तमाए एवं अणुक्तरविमाणाणं ईसीपभाराए य पुणरवि जाव अहे सत्तमाए उववाएयो ।सू०१॥