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भगवतीसूत्रे
विषयकः प्रश्नः, वर्णविपये पञ्चविकल्पाः गन्धविषये द्वौ विकल्पो, रसविषये पञ्चविकल्पाः, स्पर्शविषये अष्टविकल्पाः भवन्ति किम् ? इति मन्नाशयः । भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम! 'एगवन्ने' एकवर्णः एकस्मिन् परमाणौ पञ्चवर्णेषु एक एव वर्णः कृष्णादिरूपः, 'एगगंधे' एकगन्धः एकपरमाणौ गन्ध द्वयोरेक एव गन्धो भवति 'एगर से' एकरसः पञ्चप्रकारकरसेषु एक एव रसो भवति 'दुफासे पन्नत्ते' द्विस्पर्शः प्रज्ञप्तः स्निग्धरूक्षशीतोष्णस्पर्शेषु अविरोधि - स्पर्शद्वययुक्तो भवति, द्वौ स्पर्शो भवतः परमाणुपुद्गलो विरुद्धस्पर्शवान् न भवति यथा यदा स्निग्धः तदा न रूक्षः, यदा रूक्षस्तदा न स्निग्धः एवं यदा शीतः
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होते हैं । इस प्रकार से यह परमाणुनिष्ठ वर्णादि विषयक यह प्रश्न है । वर्ण के विषय में पांच विकल्प गन्ध के विषय में दो विकल्प रसके विषय में पांच विकल्प और स्पर्शके विषय में आठ विकल्प होते हैं क्या ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं । 'गोयमा ! एगवन्ने' हे गौतम ! एक परमाणु में पांचवर्णों में से एक ही कृष्णादिरूपवर्ण होता है। 'एग गंधे' एक परमाणु में दो गंधों में से एक ही गंध होता है । 'एगरसे' एक परमाणु में पांचरसों में से एक ही रस होता है । 'दुष्फाले पन्नत्ते' तथा आठ स्पर्शो में से कोई से दो अविरोधी स्पर्श होते हैं । स्निग्ध, रूक्ष, शीत उष्ण ये ४ स्पर्शो में से अविरोधी दो स्पर्श परमाणु में होते हैं । क्योंकि परमाणुपुद्गल विरुद्ध स्पर्शवाला नहीं होता है । जैसे जब स्निग्धस्पर्श होगा तब रुक्षस्पर्श नहीं होगा और जब रूक्षस्पर्श होगा तब स्निग्धस्पर्श नहीं होगा इस प्रकार जब उसमें शीत સ્પર્શ હાય છે? આ રીતે પરમાણુમાં રહેલા વર્ણાદિ વિષયમાં આ પ્રશ્ન કરેલ છે. વણુના વિષયમાં પાંચ વિકલ્પ, ગન્ધના વિષયમાં એ વિકલ્પ, રસના વિષયમાં પાંચ વિકલ્પ અને સ્પર્શના વિષયમાં આઠ વિકલ્પે અને છે ? या प्रश्नना उत्तरभां अलु उडे छे - " गोयमा ! एगवन्ने" हे गौतम! A परमाणुभां चांन्य वे चैड़ी दृष्य ! ४ वर्षा होय छे. "एगगंधे” मे परभाशुभां मे गौंध पैडी मे ? गंध होय हे "दुप्फासे पन्नत्ते" तथा भाई स्पर्श बैठी अर्ध अविरोधी मे ४ स्पर्श होय छे. स्निग्ध, ३क्ष, शीत, अने એ ચાર સ્પČમાંથી પરમાણુ પુદ્ગુગલ વિરૂદ્ધ સ્પર્શીવાળા હાતા નથી. જેમકે જ્યારે સ્નિગ્ધ-ચિકાશવાળા સ્પર્શ થશે ત્યારે રૂક્ષ-લુખા સ્પર્શ થશે નહી.. અને જ્યારે રૂક્ષ સ્પશ થશે, ત્યારે સ્નિગ્ધ પુશ થશે નહીં. એજ રીતે