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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२० उ०५ सू०६ अष्टप्रदेशिकस्कन्धस्य वर्णादिनि० ७७७
सप्तमदेशिकान्तस्कन्धानां वर्णगन्धरसस्पर्शभङ्गान् यथाविभागं निरूप्य - अष्टपदेशादिकानां स्कन्धानां भङ्गान् दर्शयितुमाह-अट्ठपएसिए णं भंते' इत्यादि ।
मूलम्-'अटपएसिए णं भंते! खंधे पुच्छा, गोयमा! सिय एगवन्नेछ जहा लसपएलियस्ल जाव सिय चउफासे पन्नते, जइ एगवन्ने० एवं एगवन्नदुवन्नतिवन्ना जहेब सत्तपएलिए। जइ चउक्न्ने लिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिहएय१, सिय कालए ५ नीलए य लोहियए य हालिदगा य२, एवं जहेव लसपएलिए जाव लिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिदए य१५, लिथ कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दगा य१६, एए सोलसभंगा एवमेए पंचचउकसंजोगा एवमेए असीई भंगा८०। जइ पंचवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिहए य सुकिल्लए यर, सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिदए य सुकिल्लगा य२, एवं एएणं कमेणं भंगा चारेयवा जाव सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिदगा य सुकिल्लए य१५, एसो पन्नरसमो भंगो।सिय कालगायनीलए य लोहियए य हालिदए य सुकिल्लए य१६, सिय कालगाय नीलए य लोहियए य हालिदए य सुकिलगाय १७,सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिदगा य सुकिल्लए य१८, लिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिदगा य सुकिल्लगा य१९, सिय कालगाय नीलए य लोहियगा य हालिदए य सुकिल्लए य२०, सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य सुकिल्लए य२१, सिय
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