________________
प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२० उ०५ सू०१ पुद्गलस्य वर्णादिवत्वनिरूपणम् ५१९ 'जा तिफासो' यदि निस्पों द्विपदेशिकस्कन्धस्तदा 'सव्वे सीए देसे निद्धे देसेलुक्खे' सर्वः शीतो, देशः स्निग्धो देशो रूक्षा, शीवस्तु सर्वाशे विद्यते किन्तु ' एकदेशे स्निग्धता अपरदेशे रूक्षता एवं मिलित्वाऽत्रयी द्विपदेशिकस्कन्ध त्रिस्पों भवतीति 'सवे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे' सर्वः उष्णो देश: स्निग्रो देशो रूक्षः, औषण्यं तभयत्रापि अवयवे तिष्ठति किन्तु एकस्मिन् स्तिग्धता तदपरावयवे रूक्षतेति मिलित्वा त्रिस्पर्शी भवति द्विपदेशिकः स्कन्धः । 'सब्वे नि देसे सीए देसे उसिणे' सर्वः स्निग्धो देशः शीतो देश उष्णः, स्निग्धता तु उभयत्रापि किन्तु एकस्मिन् शैत्यं तदपरदेशे औष्ण्यमिति मिलित्वा त्रिस्पों द्विपदेशिकोऽवयत्री स्कन्धः । एवं सम्वे लुक्खे ऐसे सीए देसे उसिणे' सों रूक्षो, देशः शीतो देश उष्णः, रूक्षता तु सर्वा शे विद्यते एकदेशे शैल्यम् के मध्य में इस प्रकार से अविरोधी दो रूपों वाला द्विप्रदेशी स्कन्ध होता है ऐसा कहकर अध सूचकार 'जतिफाले' ऐला प्रकट करते हैं कि यदि वह विदेशी शन्ध तीन सों वाला होता है तो इस प्रकार की पद्धति से वह तीन स्पर्शों वाला हो सकता है 'सचे सीए, देसे निद्ध देसे लुक्खे' सर्वांश में वह शीत हो सकता है एकदेश में स्निग्ध और दूसरे एकदेश में यह रूक्ष हो सक्षता है १ 'सव्वे उलिणे, देसे निद्धे देसे लुक्खे' सर्वांश में वह उष्ण हो सकता है एकदेश में स्निग्ध और एक दूसरे देश में वह रूक्ष हो सकता है २ 'लव्रे निद्ध देसे सीए, देसे उसिणे ३, सर्वांश, में वह स्निग्ध हो सकता है, एक देश में शीत और दूसरे एक देश में वह उष्ण हो सकता है 'एवं सच्चे लुक्खे, देसे सीए देसे उसिणे' इसी प्रकार से वह सर्वांश में रुक्ष हो सकता है और एकदेश में शीत और दूसरे एक में उष्ण हो सकता है। इस प्रकार से અવિરેાધી બે સ્પશેવાળા બે પ્રદેશી કંધ હોય છે એ પ્રમાણે કહીને હવે सूत्रा२ 'जइ तिफासे' बात पताव छ - ते मे प्रदेशवार २५ ત્રણ સ્પર્શીવાળા હોય તે નીચે પ્રમાણેની પદ્ધતીથી તે ત્રણ સ્પર્શીવાળા પણ मनी शई छ. 'सव्वे सीए, देसे निद्धे, देसे लुक्खे,' सशिथी ते 31 શકે છે. એક દેશમાં નિષ્પ–ચિકણાપણું અને બીજા એક દેશમાં તે રૂક્ષ હાઈ शछे १ 'सव्वे सिणे देसे निद्ध, इसे लुक्खे' सपा शथी
छे. मे देशमा स्निग्ध मन में भी माnwi BY श छे. एवं सब्वे लुखे देखे सीए देसे उसणे सशत सशथी ३क्ष छ. मन से દેશમાં તે શીત-ઠંડા અને બીજા-એ-દેશમાં તે ઉષ્ણ હોઈ શકે છે કે આ રીતે,