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भगवतीसूत्रे
अथ पञ्चमोद्देशकः प्रारभ्यते । चतुर्थोद्देशके इन्द्रियोपचयः प्ररूपितः, सचेन्द्रियोपचयः परमाणुभिर्भवतीति पञ्चमोद्देशके परमाणुस्वरूपमुच्यते, इत्येवं सम्बन्धेन आयावस्य पञ्चमोद्देशकस्येदमादिमं सूत्रम्-'परमाणुपोग्गलेणं भंते !' इत्यादि।
मूलम्-'परमाणुपोग्गले णं भंते ! कइवन्ने कइरसे कइफासे पन्नत्ते? गोयमा! एगवन्ने एगगंधे एगरसे दुफाले एन्नत्ते, तं जहा-जइ एगवन्ने सिय कालए, सिय नीलए, सिय लोहियए, सिय हालिदे, सिय सुकिल्ले। जइ एगगंधे सिय सुब्भिगंधे सिय दुब्भिगंधे। जइ एगरसे सिय तित्ते सिय कडुए सिय कसाए, सिय अंबिले, सिय महुरे। जइ दुफासे, लिय सीए य निद्धे य१, सिय सीए य लुक्खे यर, लिय उसिणे य निद्धे य३, सिय उसिणे य लुक्खे य४ । दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे कहबन्ने, कइगंधे, कड. रसे, कइफासे४। एवं जहा अट्ठारसमसए छडुद्देसए जाव सिय . चउफासे पन्नत्ते। जइ एग न्ने लिय कालए जाव सिय सुकिल्लए५, जइ दुवन्ने सिय कालए य नीलए य१, लिय कालए य लोहिए य२, सिय कालए य हालिदए य३, सिय कालए य सुकिलए य४। सिय नीलए य लोहियए य५, सिय नीलए य हालिहए य६, सिय नीलए य सुकिल्लए य७, लिय लोहियए य हालिदेए यद, सिय लोहियए य सुकिल्लए य९, सिय हालिद्दए य सुकिल्लए य१०। एवं एए दुया संजोगे दसभंगा। जइ एगगंधे सिय सुन्भिगंधे १, सिय दुब्भिगंधे य२, जइ दुगंधे सुब्भिगंधेय दुभिगंधे य। रसेसु जहा वन्नसु। जइ दुफासे सिय सीए य