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________________ . ५०४ भगवतीने अधम्मत्थिकायस्स णं भंते! केवइया अभिवयणा पन्नता ? गोयमा ! अणेगा अभिवयणा पन्नत्ता तं जहा-अधम्मेइ वा, अधम्मत्थिकाएइ वा पाणाइवाएइ वा जाव मिच्छादसणसल्लेइ वा इरिया असमिईइ जाव उच्चारणपालवण जाव परिहावणिया असलिईइ वा मणअगुत्तीइ वा वइअगुत्तीह वा कायअगुत्तीइ वा जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते अधम्मस्थिकायस्स अभिवयणा । आगासस्थिकायस्स णं पुच्छा गोयमा! अणेगा अभिवयणा पण्णत्ता तं जहा-आगासेइ वा आगासस्थिकाएइ वा गगणेइ वा नभेइ वा समेइ वा विसमेइ वा खहेइ वा विहेइ वा वीयीवा विवरेइ वा अंबरेइ वा अंवरसेइ वा छिड्डेइ वा झुसिरेइ वा मग्गेइ वा विमुहेइ वा अदेइ वा विपद्देइ वा आधारेइ वा वोमेइ वा भायणेइ वा अंतरिक्खेइ वा सामेइ वा ओवासंतरेइ वा अगमिइ वा फलिहेइ वा अणंतेइ वा जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते अगासस्थिकायस्स अभिवयणा। जीवस्थिकायस्स णं भंते! केवइया अभिवयणा पन्नत्ता? गोयमा! अणेगा अभिवयणा पन्नता तं जहा-जीवेइ वा जीवस्थिकायेइ वा पाणेइ वा भूएइ वा सत्तेइ वा दिन्नूइ वा याइ वा जेयाइ वा आयाइ वा रंगणाइ वा हिंडुएइ वा पोग्गलेइ वा माणवेइ वा कत्ताइ दा विकत्ताइ वा जगेइ वा जंतुइ वा जोणीइ वा सयंभूइ वा ससरीइ वा नायएइ वा अंतरप्पाइ वा जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते जाव अभिवयणा। पोग्गस्थिकायस्स णं
SR No.009323
Book TitleBhagwati Sutra Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages984
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size63 MB
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