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________________ प्रचन्द्रिका टीका श०१९ उ०८ ०१ जीवनिर्वृत्तिनिरूपणम् ૨૭ णियाणं, जस्स जइविहा दिट्ठी । कइ विहा णं भंते ! णाणनिवत्ती - परनत्ता ? गोयमा ! पंचविहा णाणनिवत्ती पन्नत्ता, तं जहा आभिणिबोहियणाणनिद्यत्ती जाय केवलनाणनिवत्ती । एवं एगिंदियवज्जं जाव वेमाणियाणं जस्स जइ णाणां । कइ विहाणंभंते! अन्नाणनिवत्ती पन्नता ? गोयमा ! तिविहा अन्नाणनिवत्ती पन्नत्ता-तं जहा महअन्नाणनिवत्ती १ सुयअन्नाणनित्तीर, विभंगनाणनिवत्ती ३ | एवं जस्त जइ अन्नाणा जाव वैमाणियाणं । कइविहा णं भंते! जोगनिवत्ती पन्नता ? गोयमा ! तिविहा जोगनिघती पण्णत्ता तं जहा-मणजोगनिवत्ती १ वइजोगवित्ती२ कायजोगनिद्वती३ एवं जाव वैमाणियाणं, जस्स जइविहो जोगो । कइविहा णं भंते ! उवओगनिवत्ती पण्णत्ता गोयमा ! दुविहा उवओगनिवत्ती पण्णत्ता तं जहा सागारोवओगनिवत्ती अणागारोवओगनिवत्ती २ । एवं जाव वेमाणि याणं । (अत्र संग्गहणी गाथे) - 'जीवाणं निवत्ती १, कम्मप्पगडीर, सरीरनिवत्ती । सद्विंदिय निवत्ती४, भाला य५ मणै६, कसाया य' ७॥ ॥१॥ î बन्ने८ गंधे९ रसे १० फाले११ संठाणविही य१२ होइ सण्णा य१३। - लेस्सा १४ दिवि१५ नाणे १६ अण्णाणे १७ जोगे१८ उवओगे १९ ॥ २ ॥ सेवं भंते! सेवं भंते! ति ॥सू० १॥ गुणसमे सए अट्टम उद्देसो समत्तो ॥ भ० ५३
SR No.009323
Book TitleBhagwati Sutra Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages984
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size63 MB
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