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भगवतीसूत्रे
बादरपुढवीसरी रे' तदेकं चादरपृथिवीशरीरं भवतीति । प्रकरणार्थमुपसंहरमाह'ए महालएणं' इति 'ए महालए णं गोयमा' एतन्महत् खलु गौतम ! 'पुढवीसरीरे फनत्ते' पृथिवीशरीर मज्ञप्तम् हे गौतम ! एतादृशं महत्प्रमाणकं वादरपृथिवीकायिक शरीरं भवतीतिभावः ॥ ०३॥
प्रकारान्तरेण पृथिवीकायिकानामवगाहना प्रमाणमाह - 'पुढची ' इत्यादि मूलम् - पुढवीकाइयस्स पणं भंते ! के महालया सरीरोगाहणा पन्नत्ता गोयमा ! से जहानामए रन्नो चाउरंतचक्कवहिस्स वन्नगपेसिया तरुणी वलवं जुगवं जुवाणी अप्पायंका० वन्नओ जाव निउणसिप्पोवगया नवरं चम्मेदृदुहणसुट्टियसमाहयणिचियगत्तकाया न भण्णइ सेसं तंचेव जाव निउणसिप्पोवगया तिक्खाए वइरामईए सण्हकरणीए तिक्खेणं वइरामएणं वहविरण एवं महं पुढवीकाइयं जतुगोलासमाणं गहाय पडिसाहरिय पडिसाहरिय पडिसंखिविय पडिसंखिविय जाव इणामेव तिकड तित्तखुत्तो उप्पीसेज्जा तत्थ णं गोयमा ! अत्थेगइया पुढवीकाइया आलिद्धा अत्थेगइया पुढवीकाइया नो आलिद्धा अत्थेमइया संघट्टिया अत्थेगइया नो संघट्टिया अत्थेगइया परियाविया अत्थेगइया नो परियाविया अत्थेगइया उद्द विया अत्थेगइया नो उद्देविया अत्थेगइया पिट्टा अत्थेगइया शरीर होते हैं । 'से एगे बादरपुढवीसरीरे' उतना एक शरीर एक यादर पृथिवीकायिक का होता है 'ए महालएणं गोयमा०' हे गौतम ! ऐसे बडे प्रमाणवाला चादर पृथिवीकाधिक का शरीर होता है || सू० ३॥
'से एगे बादर पुढत्री सरीरे' तेदु मे शरीर जाहर पृथ्विायिउनु होय छे. 'ए महालाए णं गोयमा !' हे गौतम! भाषा भोटा प्रभाणुवाणु बाहर पृथ्विक्षयितु शरीर होय छे. ॥ सू. ३ ॥