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________________ प्रद्रिका टीका श० १८ उ० ४ ० २ कपायस्वरूपनिरूपणम् १५ हे गौतम! 'चत्तारि जुम्मा पन्नत्ता' चत्वारि युग्मानि प्रज्ञप्तानि 'तं जहा ' तद्यथा 'कडजुम्मे' कृतयुग्मम् ' तेयोए' ज्योजः 'दावरजुम्मे' द्वापरयुग्मम् 'कलियोए' कल्योजः एवं चतुष्प्रकारकं युग्मम् आख्यातं भवति अत्र गणितशास्त्रपरिभाषया समोराशिर्युग्ममिति कथ्यते विषमो राशिस्तु ओज इति कथ्यते यद्यपि अत्र द्वावेव राशी युग्मपदवाच्यौ कृतयुग्मद्वापरयुग्माख्यौ एतयोरेव समराशिस्वात् द्वौ च योज कल्पनामको राशी तयोर्विषमत्वेनोजः शब्दवाच्यत्वात् तथा च द्वौ युग्मशब्दवा द्वौ चौजः शब्दवाच्यौ भवतस्तथापि प्रकृते युग्मशब्देन राशयो विवक्षिताः अनचत्वारि युग्मानि राशयः कथिताः । पुनः प्रश्नयति से केणद्वेगं भते ! एवजुम्मापन्नत्ता' हे भदन्त ! युग्म-राशियां कितनी कही गई हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं 'गोग्रमा' हे गौतम | 'चत्तारि जुम्मा पन्नत्ता' युग्म चार प्रकार के कहे गये हैं । 'तं जहा' जे। इस प्रकार से हैं- 'कडजुम्मे' कृतयुग्म तेयोए' ज्यौज 'दावरजुम्मे' द्वापरयुग्म 'कलियोए' कल्योज यहाँ गणितशास्त्र की परिभाषा के अनुसार सम राशिका नाम युग्म है और विषमराशिका नाम ओज है, यद्यपि यहां पर दोही राशि कृतयुग्म और द्वापरयुग्म युग्मशब्दवाच्य हुई है क्योंकि ये दोनों ही सम राशि है तथा ज्योज और कल्योक ये दो राशियां विषमराशि होने के कारण ओजशब्दवाच्य हुई हैं इस प्रकार दो राशियाँ युग्म शब्दवाच्य और दो राशियां ओजशब्दवाच्य होती है फिर भी प्रकृत में युग्मशब्द राशियां विवक्षित हुई हैं। इसलिये चार युग्म राशियां कही गई हैं । हेवामां भावी छे ? तेना उत्तरमां अलु उडे छे "गोयमा ! हे गौतम " चत्तारी जुम्मा पण्णत्ता" युग्भ २२ अारना उडेवामां आया है. " तंजहा " ? या प्रभा छे. “कडजुम्मे' धृतयुग्भ " तेयोए” यौ? "दावरजुम्मे" द्वापर युग्भ “कलियोए” स्थोन महियां गति शाखनी परिभाषा प्रभा સમરાશીનું નામ યુગ્મ છે. અને વિષમ રાશીનું નામ એજ છે. જો કે અહિયાં કૃતયુગ્મ અને દ્વાપર યુગ્મ એ બે જ રાશી યુગ્મ પદ્મથી કહેવામાં આવી છે. કેમકે એ બન્ને સમરાશી છે, તથા યૌજ અને કલ્ચાજ એ એ રાશીચે વિષમ રાશી હાવાથી એજ શબ્દથી કહેવાઈ છે. આ રીતે બે રાશી યુગ્મ શબ્દ વાસ્થ્ય અને એ રાશી એજ શબ્દ વાચ્ય થાય છે. તે પણ ચાલુ પ્રકરણમાં યુગ્મ શબ્દથી રાશીયેા ગ્રતુણુ કરાઈ છે. તેથી યુગ્મ રાશીયા ચાર કહેવામાં આવી છે,
SR No.009323
Book TitleBhagwati Sutra Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages984
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size63 MB
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