________________
--
-
५२
भगवतीरसे एकता-अपरभागे द्विपदेशिका स्कन्धो भवति, एकत:-अन्यभागे चतुष्पदेशिका - स्कन्धों भवति, 'अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गले, एगयो दो. दुप्पएसिया
खंधा, एगयओ तिप्पएसिए खंधे भवइ' अथवा एकत:-एकभागे द्वि परमाणुपुद्गलो भवति, एकत:-अपरभागे द्वौ द्विमदेशिको स्कन्धौ भवतः, एकतः-अन्यभागे त्रिमदेशिकः स्कन्धो भवति, 'अहवा चत्तारि दुप्पएसिया खंधा भवंति' अथवा चत्वारः 'द्विपदेशिका: स्कन्धाः भवन्ति, 'पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, "एगयो चउप्पएसिए खंधे भवई' अष्टप्रदेशिकः स्कन्धः पञ्चधा क्रियमाणः एकत:एकमागे चत्वारः परमाणुपुद्गलाः भवन्ति, एकतः-अपरभागे चतुष्पदेशिका दूसरे भाग में एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध होता है, और अन्यभाग में एक चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध होता है । 'अहवा-'एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो तिप्पएसिया खंघा भवंति' अथवा-एकभाग में दो परमाणुपुद्गल होते हैं और दूसरे भाग में दो त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं। 'अहवा-एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयो दो दुप्पसिया खंधा एगयो 'सिप्पसिए खंधे भवई' अथवा-एक विभाग में एक परमाणुपुगदल होता
है। दूसरे भाग में दो द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं और अन्य भाग में एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है। 'अहवा-चत्तारि दुप्पसिया खंधा भवंति' "अथवा चार विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं ।, "पंचहा कज्जमाणे' एगयो चत्तोरि परमाणुपोग्गला, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवई' यह अष्टप्रदेशिक स्कन्ध जप पांच भागों में विभक्त किया जाता है तय एक भाग में चार परमाणुपुगद्ल होते हैं' और दूसरे भाग में एक चतु. શિક ધ રૂપ એક વિભાગ અને ચાર પ્રદેશિક સ્કંધ રૂપ એક વિભાગ પણ सलवी श छ. “ अहवा" अथवा "एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयी दो,तिप्पएसिया खंधा भवंति " मे मे परमाणु पुस ३५ मे विलाया भने निशि मे २४५ ३५ मे विलागी ५ सलपी श छ. “अहवापरमाणुपोग्गले, एगयो दो दुप्पएसिया खंधा, एगयओ तिप्पएसिए खंधे भवइ " अथवा परमाणु पुसवाणे ४ विमा, दिशि मे કંધ રૂ૫ બે વિભાગો અને ત્રિપ્રદેશિક એક સ્કંધ રૂ૫ એક વિભાગ, આ माना यार विभाग ५ समवीश छ. “ अहवा चत्तारि दुप्पएसिया खवा भवंति" अथवा विशि४ या२२३३ ३५ या विभाग ५ सनवी शछे.
___पंचहाँ कन्जमाणे, "एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भवइ " मष्टप्रशिs धन क्यारे पाय विभाग ४२वाभां