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प्रमेयमन्द्रिका टीका श० १२ ४० ४ २०१ परमाणुयुद्गलनिरूपणम् - 'अहवा एगयो दो दुप्पएसिया खंधा, एगयो चउप्पएसिए बंधे भवइ' अथवा • एकंत:-एकभागे द्वौ द्विपदेशिकौ स्कन्धौ भवतः, एकता-अपरभागे चतुष्पदेशिका ... स्कन्धो भवति, 'अहवा एगयो दुप्पएसिए खंधे, एगयो दो तिप्पएसिया खंधा भवंति' अथवा एकत:-एकभागे द्विपदेशिकः स्कन्धो भवति, एकतः-अपरमागे द्वौ त्रिप्रदेशिको स्कन्धौ भवतः, 'चउहा कन्जमाणे एगयो तिनि परमाणुपोग्गला, एगयओ पंच पएसिए खंधे भवइ' अष्टपदेशिकः स्कन्धश्चतुर्धा क्रियमाणः एकत:एकभागे त्रयः परमाणुउद्गला भवन्ति, एकता-अपरभागे पश्चपदेशिकः स्कन्धो भवति, 'अहवा एगयो दोन्नि परमाणुपोग्गला, एगयो दुप्पएसिए खंधे, एगयो चउप्पएसिए खंधे, भवई' अथवा एकता-एकभागे द्वौ पदमाणुपुद्गलौं भवतः, संध होना है। 'आवा एगय भो दो दुरएलिया खंधा, एगयो चउ, प्पएसिए खंधे भवा' अथवा-एक भाग में दो दिप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं, और दूसरे भाग में एक चतुष्पदेशिक स्कन्ध होता है। अहवाएगयओ दुप्पएसिए खंधे, एगयो दो तिप्पएसिया.खंश भवंति' अथवा-एक भाग में झिप्रदेशिक स्कन्ध होता है, और एकभाग में दो त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं । 'चउहा कजमाणे एगयो तिषि-परमाणु-, . पोग्गला, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ" यह अष्ट प्रदेशिक स्कन्ध । जब चार भागों में विभक्त किया जाता है-तय एक भाग में तीन परमाणुपुद्गल होते हैं. दूसरे भाग में पंचादेशिक स्कंध होता है। अहवाएगयओ दोनि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुप्पएसिए खंधे, एगयओच3. पसिए खंधे भवइ' अथवा-एकभाग में दो परमाणुपुद्गल होते हैं, प्रशि: २७ ५ ३५ जीन विभाग पy सनवी श छ “ अहवा-एगयओ दो दुप्पएसिया खंधा, एगयओ चउप्पएसिए खंधे " अथवा मे विहशि २४५३५ બે વિભાગે અને ચાર પ્રદેશિક સ્કંધ રૂપ એક વિભાગ પણ સંભવી શકે छे.. "अहवा-एगयओ · दुप्पएसिए .खधे एगयओ दो तिप्पएसिया 'खंधा, भवति" ५4 मे विनाम विशि: । २४ मन माटीना मे. विमा निशि मे २४५ ५Y ससवी श छ. " चउहा कन्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयो पंचपएसिए खधे, भवइ" न्यारे, मट.' પ્રાદેશિક સ્કંધના ચાર વિભાગે કરવામાં આવે છે, ત્યારે તે ચાર વિભાગ આ પ્રકારના સંભવી શકે છે–એક એક પરમાણુ પુદ્ગલવાળા ત્રણ વિભાગ भने ५यप्रशि२४ ३५ मे GRIL सवाश छे. “अहवा" मया-"एगयओ दोन्नि परमाणुपोग्गला, एगरओ दुप्पएसिए खंघे एगयों चउप्पएसिए खंधे भवई" मे मे ५२भार पुर ३५ मे विभागी, ६.