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भगवती सूत्र
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च सद्रूपः अवक्तव्यम् आत्येति च नो आत्मेति च१, 'सिय आयाय अवत्तव्वाई आओ य नो आयाओ यर ' स्यात् आत्मा च सद्रूपः अवक्तव्यानि - आत्मानश्च नो आत्मानचर, 'सिय आयाओ य अवतन्त्रं आयाइय नो आयाइय३' स्यात् आत्मानश्च सद्रूपाः अवक्तव्यम् आत्मा इविच नो आत्मा इति च३, 'सिय आयाओ य अवत्तव्वाई आयाओ व नो आपाओ य४ स्यात् आत्मानश्च सद्रूपाः अवक्तव्यानि आत्मानश्च नो आत्मानश्च ४. (८) 'सिय नोआया य अवत्तव्यं आयाइय 'सिय आया य अवत्तव्यं आयाइय नो आयाइय' कथंचित् वह आत्मा - सद्रूप है, और आत्मा तथा नो आत्मा इन शब्दों के द्वारा वह एक साथ कहना अशक्य होने से अवक्तव्य है८, 'सिय आया य, अवत्तच्वाइं आयाओ घ जो भायाओ य' कथंचित् वह एक प्रदेश से सद्रूप है तथा सद्रूप और असद्रूप इन शब्दों द्वारा वह एक साथ कहा जा नहीं सकने के कारण बहुत प्रदेशों से अवक्तव्य है ९ 'सिंघ आया ओ य अवत्त आयाइय नो आधाइय' कथंचित् वह अनेक प्रदेशों से सद्रूप है, तथा आत्मा एवं नो आत्मा इन शब्दों द्वारा युगपत् कहा 'जा नहीं सकने के कारण अवक्तव्य है १०, 'सिय आघाओ य अवत्तव्वाई आयाओ य, नो आयाओ य' कथंचित् यह अनेक प्रदेशों से सद्रूप है, तथा अनेक प्रदेशों से सद्रूप और असद्रूप इन शब्दों द्वारा युगपत् नहीं कहा जा सकने के कारण अवक्तव्यरूप है ११, (६४५८ ३ =
क्षामे असद्द३५ होय छे. “सिय आयाओय नो आया ओय?" (४) यारे ते ચતુપ્રદેશિક ધ સરૂપ પણ હોય છે અને અસદ્ગુરૂપ પણુ હાય છે. "सिय आया य अवत्तन्वं आयाइय नो आयाइय १” ( 1 ) ध्यारे ते आत्मસરૂપ હાય છે અને આત્મા તથા ને આત્મા શબ્દો દ્વારા એક સાથે क्रमवाभ्य डावाने अरथे भवस्तव्य होय छे "सिय आया य, अवत्तव्वाइं आयाओय नो आयाओयर" (२) श्यारे४ ते सहुइय होय छे भने आत्माओ અને ના આત્માએ શબ્દો વડે એક સાથે અવસ્થ્ય હાવાને કારણે તે અત્ર उत्तव्य पशु होय छे. “सिय आयाओय अत्तव्यं आयाइय नो आयाइय३ (૩) કયારેક તે અનેક સાવાળા હોય છે અને આત્મા અને ના આત્મા શબ્દો વડે એક સાથે અવાચ્ય હાવાને કારણે અવકતવ્ય રૂપ પણ હોય છે. " खिय आयाओय अवत्तव्वाई आयाओय, नो आयाओयु " (४) यारे ते અનેક સરૂપેાવાળા હૈય છે અને અનેક સરૂપે અને અનેક અસદ્ગુરૂ વડે એક સાથે અવાસ્થ્ય હાવાને કારણે અનેક અવકતવ્યા રૂપ પણ હ્રાય છે. il.
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