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अनुक्रमां
श्री
भगवतीसूत्र भाग दसवें की विषयानुक्रमणिका विषय
बारहवें शतक का चौथा उद्देशा
१ चौथे उद्देशक का संक्षिप्त विषयविवरण
२ परमाणुपुलों का निरूपण
३ - ९२
३ संहनन के भेद से पुलपरिवर्तन का निरूपण
९३-१३२
४ औदारिक पुद्गल परिवर्ती की निवर्त्तना काल का निरूपण १३२-१४६ ५ पुद्गल परावर्त के अल्प बहुत्व का निरूपण
१४६-१४९
पांचवां उद्देशा
६ पांचवें उद्देशे का संक्षिप्त विषयविवरण
७ कर्मपुगलों के स्वरूप का निरूपण ८ प्राणातिपातादि विरमण का निरूपण ९ जीव परिणाम का निरूपण
१० जीव के चारित्र परिणाम हेतु का निरूपण छठे उद्देशे का प्रारंभ
११ छठे उद्देशे का संक्षिप्त विषय विवरण
१२ राहु के स्वरूप का निरूपण
१३ चंद्र के 'सश्री' नाम के अर्थ का निरूपण
१४ सूर्य के 'आदित्य' नाम के अर्थ का निरूपण
१५ चंद्र-सूर्य की अपमहिषियों आदि का निरूपण
सातवें उद्देशे का प्रारंभ
पृष्ठाङ्क
१६ सातवें उद्देशे का संक्षिप्त विषय विवरण १७ लोक के विस्तार का निरूपण
१८ जोवों की उत्पती का निग
१
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१५०-१५१
१५१-१६७
१६७-१९५
१९५-१९७
१९७-२००
२०१
२०२-१२२
२२२-२२४
२२४-२२६
२२६-२३७
२३८-२३९
२३९-२४०
२५१-२७७