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भगवतीसूत्रे
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ajit करा इत्यादि वर्णनं बोध्यम् 'सूरस्स वि तदेव सूरस्थपि तथैव चन्द्रवदेव, सूर्यस्यापि अग्रमहिष्यादि वर्णनं कर्तव्यम्, तथाच सूर्यस्य ज्योतिषि - केन्द्रस्य ज्योतिषिकराजस्य चतस्रः अग्रमहिष्यः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-सूर्यप्रभा, आतपाभा, अर्चिमोली, प्रभंकरा, इत्यादिरीत्या दशमशतकस्य पश्च मोद्देशकानुसारमेव वर्णनं कर्तव्यम्, गौतमः पृच्छति - चंदिममरियाणं भंते! जोइसिंदा जोइसरायाणो केरिसए कामभोगे पचणुभवमाणा विहरंति ?' हे भदन्त | चन्द्रसूर्यो खलु ज्योतिषिकेन्द्रौ ज्योतिषिकराजानौ, कीदृशान् कामभोगान् पश्यनुभवन्तौ विहरतः ? तिष्ठतः ? भगवानाह - गोयमा ! से महानामए केइपुरि से पढम जोन्वणुडाणवलरथे ' हैं- चन्द्रप्रभा, ज्योत्स्नाभा, अर्चिर्माली और प्रभंकरा इसके आगे का और भी वर्णन है जो वहीं से देख लेना चाहिये 'सूरस्स वि तहेव ' चन्द्रके वर्णन के जैसे ही सूर्य की भी अग्रमहिषियां आदि का वर्णन है अर्थात् - ज्योतिषिकेन्द्र और ज्योतिषिक राज सूर्य की भी अग्रमहिषियां चार ही कही गई हैं - जिनके नाम ये हैं-सूर्यप्रभा, आतपोभा, अर्चिर्माली एवं प्रभंकरा - इत्यादिरीति से इस विषय से लगता हुआ वर्णन दशवें शतक के पांचवें उद्देशक के अनुसार यहाँ कर लेना चाहिये.
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अव गौतम प्रभु से ऐसा पूछते हैं-' चंदिमसूरियाणं भंते । जोइसिंदा जोइसरायाणो, केरिसए कामभोगे पञ्चणुग्भवमाणा विहरंति' हे भदन्त ! ज्योतिषिकों के इन्द्र और ज्योतिषिकों के राजा जो चंद्र और सूर्य हैं - वे कैसे कामभोगों को भोगते हैं? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं'गोपमा' हे गौतम! ' से जहा नामए केइ पुरिसे' जैसे कोई एक पुरुष છે. તેમનાં નામ નીચે પ્રમાણે છે—ચન્દ્રપ્રભા, ચૈાનાભા, ચર્માલી અને પ્રભંકરા ત્યાર ખાતું જે વણુન છે, તે ત્યાંથી જ વાંચી લેવું सूरस्स वि तद्देव " शुन्द्रना वर्षानना हेवु सूर्यांनी अश्रमहिषीमा माहितुं वर्षान पशु સમજવુ' એટલે કે જ્યેાતિષિકેન્દ્ર અને જ્યેતિષિકરાજ સૂર્યને પણ ચાર अग्रभडिषीओो छे. तेभनां नाम नीचे प्रभा -सूर्य प्रला, न्यातपाला, अि માંક્ષી અને પ્રભ'કરા, ઈત્યાદિ સમસ્ત વર્ણન દેસમાં શતકના પ`ચમા ઉદ્દેશકમાં કથિત વર્ણન અનુસાર અહી પણ ગ્રહણ કરવું જોઈએ.
गौतम स्वाभीने। प्रश्न-" च दिमसूरियाणं भंते! जोइसिंदा जोइसरायाणो केरिसए कामभोगे पच्चणुब्भवमाणा विहरंति " हे भगवन् ! ज्योतिषिधना इन्द्रो અને જ્યાતિષિકાના રાજા એવા જે સૂર્ય અને ચન્દ્ર છે, તે કેવા ક્રામભાગે ભાગવે છે ?
भहावीर अलुना उत्तर- " गोयमा !" हे गौतम! " से जहानामए केइ