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भगवतीसूत्रे जाब महासोक्खे, वरवत्थधरे, वरमल्लधरे, वरगंधधरे, वराभरणधारी' एवं खलु निश्चितं राहुः देवो महर्दिकः अत्यन्तसमृद्धिशाली, यावत्-महाद्युतिका, महाबला, महायशाः, महासौख्यः, वरवस्त्रधरः-उत्तमपट्टवस्त्रधारी, वरमाल्यधर:-श्रेष्ठमालाधारी, वरगन्धधर:-श्रेष्ठचन्दनपुष्पपरिमलवासिता, वराभरणधारी-महार्यभूषणालकृतशरीरो वर्तते, 'राहुस्स णं देवस्स नवनामधेज्जा पण्णत्ता' राहोः खलु देवस्य नवनामधेयानि प्रज्ञप्तानि, 'तं जहा सिंघाडए१, जडिलए२, खंभए३, खइए४, दहुरे५, मगरे६, मच्छे७, कच्छभे८, कण्हसप्पे९' तद्यथा-शृङ्गाटकः१, जटिलकार, स्तम्भः३, खरकः४, ददुरा, मकरः६, मत्स्य:७, कच्छप:८, कृष्णसर्पः९, 'राहुस्स णं देवस्स विमाणा पंचवण्णा, पण्णत्ता' राहोः खलु देवस्य विमानाः पश्च' एवं खलु राहू देवे महिड्डिए जाव महासोक्खे, वरवत्यधरे, वरमल्लधरे, घरगंधधरे, वराभरणधारी' राहु एक देव है, और वह महाऋिद्धिवाला है-यावत्-महाद्युतिवाला, महावलवाला, महायशवाला, महासुखवाला, उत्समवस्त्र धारण करनेवाला, श्रेष्ठमाला धारण करनेवाला एवं श्रेष्ठचन्दन, एवं पुष्पों की गंध से वासित देहवाला है तथा उसका शरीर श्रेष्ठ आभरणों से सदा सुशोभित रहता है, ऐसा वह राहु देव है! 'राहुस्स णं देवस्स नव नामधेना पण्णत्ता' उस राहु देव के नाम नौ कहे गये हैं। 'तंजहा'-१ सिंघाडए, २ जडिलए, ३ खंभए, ४ खरए, ५दईरे, ६ मगरे, ७ मच्छे, ८ कच्छभे, ९ कण्हसप्पे' इस प्रकार से हैशृङ्गाटक१, जटिलकर, स्तंभ,३, खरक४, दर्दुर५, मकर६, मत्स्य७, कच्छप८, और कृष्णसर्प९, 'राहुस्स णं देवस्स विमाणा पंचवण्णा खलु राह देवे महिहिए जाव महासोक्खे, वरवत्थधरे, वरमल्लधरे, वरगंधधरे, वराभरणधारी" राई व छ, भन त महाद्विपाणी, महातिवाणी, મહાબલવાળે, મહાયશવાળે અને મહાસુખવાળો છે. તથા તે ઉત્તમ વસ્ત્રોને ધારણ કરનારે, ઉત્તમ માલાઓને ધારણ કરનારે, ઉત્તમ ચદન, પુષ્પો આદિની ગંધથી યુક્ત ગંધવાળા તથા શ્રેષ આભરણેથી વિભૂષિત દેહવા छ. "राहुस्स णं देवस्स नव नामधेज्जा पण्णत्ता" राई देवना न नाम ४ा छ, “ तंजहा" नाभी नीय प्रभा -" सिंघाडए, जडिलए, खंभए, खरए, ६९रे, मगरे, मच्छे, कच्छभे, कण्हसप्पे" (१) 01, (२)rleas, (a) स्तन, (४) ४२४, (५) ४२, (6) भ४२, (७) मत्स्य, (८) ४२७५ मन (E) सर्थ
"राहुस्सणं देवस्स विमाणा पंचवण्णा पण्णत्ता-तंजहा" राहु वन विमान नाय प्रभाव पांय ना ४ छ-"किण्हा, नीला, लोहिया, हालिदा,