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प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १२० ४ सू० २ संहननमेदेन पुलपरिवर्तननि. १०५
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कियन्तो वैक्रियपुद्गल परिवर्ताः अतीताः ? भगवानाह - 'अनंता, एवं जहेव ओरालियपोग्गल परियहा तहेव वेउच्चियपोग्गळपरियट्टा वि भाणियच्चा' हे गौतम ! एकैकस्य नैरयिकस्य अनन्ताः वैक्रियपुद्गलपरिवः अतीताः, एवं-' पूर्वोक्तरीत्या यथैव औदारिकपुद्गल परिवर्ता प्रतिपादिता स्तथैव वैक्रियपुदगल परिचर्चा अपि भणितव्याः प्रतिपत्तव्याः, ' एवं जाव वैमाणियस्स, एवं जाव आणापाणुपोग्गल परियट्टा, एए एगत्तिया सत्त दंडगा भवंति एवं पूर्वोक्तरीत्या यावद - वैमानिकस्य वैमानिकपर्यन्तस्य एकैकस्य वैक्रियपुलपरिवर्तः अनन्ताः अतीताः, भाविनस्तु जघन्येन एको वा, द्वौ वा, श्रयो वा, उत्कृष्टेन संख्येया वा, असंख्येया वा, अनन्ता वा भवन्ति, एवं - पूर्वोक्तौदारिकवै क्रियपुद्गल परिवर्तत्र देव, यावत् - तैजसपुद्गल परिवर्तः, कार्मणपुद्गलपरिMore को भूतकाल में वैक्रियपुद्गल परिवर्त कितने हो चुके हैं ? इस उत्तर में प्रभु कहते हैं-'अनंता, एवं जहेब ओरालियपोग्गल परियट्टा तहेव daeपोरगपरियहा वि भाणियच्चा' हे गौतम! एक एक नैरचिक को भूतकाल में वैक्रियपुद्गल परिवर्त अनन्त हो चुके है, इस प्रकार पूर्वोक्तरीति के द्वारा जिस प्रकार से औदारिक- पुद्गलपरिवर्त कहे जाचुके हैं, उसी प्रकार से वैक्रियपुदल परिवर्त भी कहना चाहिये, 'एवं जाव वेमाणियस्स एवं जाव आणापाणुपोग्गलपरियहा एए एगत्तिया सत्तदंडगा भवंति' इस प्रकार पूर्वोक्तरीति के अनुसार यावत् वैमानिक पर्यन्त एक एक के भूतकालिक वैकिषपुद्गलपरिवर्त अनन्त हो चुके हैं, तथा भावी वैक्रियपुगल परिवर्त जघन्य से एक, दो या तीन होंगे, और उत्कृष्ट से वे संख्यात, असंख्यात या अनंत होंगे इस प्रकार पूर्वोक्त औदारिक वैक्रिय पुद्गल परिवर्त के जैसे ही यावत्-अतात तैजसपुद् गल परिवर्त एवं
भडावीर अलुने। उत्तर- " अणता, एवं जद्देव ओरालियपोग्गलपरियट्टा तदेव उब्वियपोग्गल परियट्टा वि भाणियन्त्रा " हे गौतम! ! ! नार ભૂતકાળમાં અનંત વૈક્રિયપુનૢગલવિત કરી ચુકયા છે. પહેલાં ઔદ્યારિક પુદ્ગલપરિવર્તના વિષયમાં જેવુ. કથન કરવામાં આવ્યું છે, એવુ' જ કથન मडी' वैडिययुङ्गसपरिवर्त विषे या श्रथ उरखातुं छे. " एवं जाव बेमाणियस्स एव जाव आणापाणु पोग्गलपरियट्टा, एए एगत्तिया सत्त दंडगा भवंति " આ પૂર્વોક્ત રીત અનુસાર વૈમાનિક પન્તના એક જીવના ભૂતકાલિક વૈદ્ધિચપુદ્ગલપરિવત અન ત થઈ ચુકયા છે, તથા ભાવી વૈક્રિયપુદ્દગલપરિવત જન્ય (ઓછામાંઓછા) એક, એ અથવા ત્રણ થશે અને વધારેમાં વધારે સખ્યાત, અસખ્યાત અથવા અનંત થશે-પૂર્ણાંકત ઔદારિક અને વૈક્રિયપુ
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