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ग्यारहवें शतक के पहला उद्देशक
ग्यारहवें शतक के उद्देशाओंकी संग्रहार्थ गाथा
पहले उद्देशेके द्वारोंका संग्रह करनेवाली तीन गाथाएँ
उत्पलों में जीवत्वका निरूपण
दूसरा उद्देशा
शालूक जीवका निरूपण
२१०-२१२
२१२-२१५
२१५-२८०
तीसरा उद्देशा
पालाश संबंधी जीवोंका निरूपण
चौथा उद्देशा
कुम्भिक वनस्पति जीवका निरूपण
पांचवां उद्देशा
नालिक नामकी वनस्पतिमें रहे हुवे जीवोंका निरूपण २९३-२९४
red उद्देशेका विषयका विवरण
शिवराजर्षि के चरित्रका निरूपण
२८१-२८४.
दशai उद्देशा
दशवें उद्देशेका विषय कथन
atra Faser frरूपण
लोकालोक स्वरूपका निरूपण
जीवदेश विशेषाधिकका निरूपण
२८५-२८९
छडा उद्देशा
पद्मों-कमलों में रहे हुए जीवोंका निरूपण
सातवां उद्देशा
वनस्पतिविशेष-कर्णिका में रहे हुए जीवोंका निरूपण २९७-२९८
आठवां उद्देशा
कमल विशेषरूप नलिनमें रहे हुए जीवोंका निरूपण नवत्र उद्देशा
२९०-२९२
२९५-२९६
२९९-३०२
३०३
३०४-३८२
३८३- ३८४
३८४-४२•
४२०-४४४
४४४-४४७