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भगवती सूत्रे
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पुण्फाणिय, फलाणिय, बीयाणिय, हरियाणिय, ताणि अणु जाउ तिकट्टु पुरत्थिनं दिसं पसरइ, पुरत्थिमं दिसं पसरित्ता जाणिय, तत्थ कंद्राणिय जाब हरियाजिय ताइ गेण्हइ, गेण्हित्ता किढिकाइयं भरेs, भरिता, दव्भे य, कुसे य, समिहाओ य पत्तामोडं च गेण्हइ, गेण्हित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवा गच्छइ, उवागच्छित्ता किढिणसंकाइयगं ठवेइ, ठवित्ता, वेदि बढई, बड्डिता, उबलेवणसंभजणं करेइ, करिता, दव्भसगन्धकलसहत्थगए जेणेव गंगामहानई तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छता गंगामहानई ओगाहे. ओगाहित्ता, जलमजणं करेड, करिता, जलकीडं करेइ, करिता जलाभिसेयं करेइ, करिता, आयंते चोक्खे परमसुइ सूप, देवय पिइकयकज्जे दब्भसगब्भकलसहत्थगए गंगाओ महानईओ पच्चुसरइ, पच्चुत्तरेता, जेणेव सए उडप, तेणेव उवागच्छइ, उनागच्छित्ता दव्भेहिय, कुसेहिय, वालुयाएहिय, वेई रएइ, रइत्ता सरएणं अरणि महेइ, महिता, अरिंग पाडे, पाडित्ता, अग्गि संधुक्खइ संधुक्खित्ता, समिहा कटाई पक्व, पक्खिविश्वा अरिंग उज्जालेइ, उज्जालित्ता"अग्गस्स दाहिणे पासे, सत्तं गाई समादहे, सकई वक्कलं ठाणं, सिजाभंड कमंडलुं ॥ १ ॥ दंडदारुं तहा पाणं, अहे ताई समाद हे ॥
महुणा, घणय तंदुलेहिय, अरिंग हुणइ, हुणिता चरुं साह, साहित्ता, बलिवइस्तदेवं करेइ, बॉलवइस्लदेवं करिता अतिहिपूयं करेइ, करिता, तओपच्छा, अप्पणा आहारमाहारेइ ।