________________ 674 भगवतीसूत्रे नाह- सेवं भते / सेवं भंते ! त्ति' हे भदन्त ! तदेवं भवदुक्तं सत्यमेव, हे भदन्त ! तदेवं भवदुक्तं सत्यमेवेति // सू० 3 // इति नवमशत के चतुःस्त्रिंशत्तमोदेशकः समाप्तः // 9-33 / / इति श्री विश्वविख्यात-जगद्वल्लभ-प्रसिद्धवाचक-पञ्चदशभापाकलितललितकलापालापक-अविशुद्धगधपद्यनैकग्रन्थनिर्मापक-बादिमानमर्दक - श्रीशाहूछत्रपतिकोल्हापुरराजपदत्त ‘जैनशास्त्राचार्य ' पदभूपित-कोल्हापुरराजगुरु वालब्रह्मवारि-जैनाचार्य - जैनधर्मदिवाकर--पूज्यश्री -- घासीलालव्रतिविरचितायां 'भगवतीसुत्रस्य' प्रमेयचन्द्रिका. ख्यायां व्याख्यायां नवमं शतकं सम्पूर्णम् // 2-34 // करते हुए गौतम उनसे कहते हैं-' सेवं भते / सेवं अंते ! ति' हे भदन्त ! आपके द्वारा कहा गया सब विषय सर्वथा सत्य ही है, हे भदन्त आपके द्वारा कहा गया सब विषय सर्वथा सत्य ही है। ऐसा कह कर वे गौतम यावत् अपने स्थान पर विराजमान हो गये / / 03 / / नबवें शतकका चौंतीसवां उद्देशा समाप्त श्री जैनाचार्य जैनधर्म दिवाकर पूज्यश्री घासीलालजी महाराज कृत " भगवती सूत्र" की प्रमेयचन्द्रिका व्याख्या के नवां शतक समाप्त // 9-34 // गौतम स्वामी 43 छ है- 'सेव भ ते सेवं भते ! त्ति" " मापन ! पारे કહ્યું તે સત્ય જ છે હે ભગવદ્ ? આપના દ્વારા આ વિષયનું જે પ્રતિપાદન કરવામાં આવ્યું તે સર્વથા તે સત્ય જ છે.” આ પ્રમાણે કહીને પ્રભુને વંદણા નમસ્કાર કરીને તેઓ પિતાને સ્થાને બેસી ગયા. | સૂ 3 નવમાં શતકને 34 મે ઉદ્દેશક સમાપ્ત છે શ્રી જૈનાચાર્ય–જૈનધર્મ દિવાકર પૂજ્યશ્રી ઘાસીલાલજી મહારાજ કૃત "मग सूत्र" नी अभययन्द्रिय व्यायानु नभु शत . सभात // 6-34 //